Thursday, 7 November 2019

श्री राम जन्मभूमि मंदिर आन्दोलन का इतिहास

No photo description available.मर्यादा पुरुषोत्तम राम के प्रताप और धर्म सम्मत राज चलाने के कारण उनकी प्रजा ने उन्हें अपना भगवान मान लिया था. उनके समय के संत कवि "वाल्मीकि" जी रामायण महाकाव्य लिखकर उनकी गाथा को अमर कर दिया था. उसके बाद तो भगवान् राम से जुड़ा हर स्थान भारत की जनता के लिए पूज्यनीय बन गया.
भगवान राम का जहाँ जन्म हुआ, जहाँ-जहाँ वे गए अथवा जिन-जिन स्थानों से भी उनका कोई सम्बन्ध रहा उन सभी स्थानों पर मंदिरों का निर्माण कर, भगवान् राम की प्राण प्रतिष्ठा कर पूजा होने लगी. उन मंदिरों का समय समय पर राजा लोग अथवा धनवान सेठ लोग इनका पुनरुद्धार, विस्तार एवं सौन्दर्यकरण करवाते रहे.
साक्षों के अनुसार "त्रेता युग" के प्राचीन "रामलला मंदिर" का जीर्णोद्धार सर्व प्रथम उज्जैन के सम्राट वीर विक्रमादित्य ने लगभग 2100 साल पहले किया था. जिसका समय समय पर अनेकों राजाओं ने पुनरुद्धार और सौन्दर्यकरण करवाया. इस कारण अयोध्या का वैभव इतना बढ़ गया था कि इसे स्वर्ग से भी सुन्दर कहा जाने लगा था.
इस्लामी आक्रमण कारियों ने भारतीय संस्क्रती और बुतपरस्ती को ख़त्म करने के लिए मंदिरों को तोडा. अयोध्या के राम मंदिर को तोड़ने का पहला प्रयास सैयद सालार मसूद गाजी ने किया उसने कन्नौज को विध्वंश करने के बाद अयोध्या पर हमला किया लेकिन बहराइच के "राजा सुहेलदेव पासी" ने उसे उसकी सारी सेना समेत मार गिराया था.
उत्तर पश्चिम भारत में बाबर का कब्जा हो जाने के बाद, बाबर के सेनापति मीरबाक़ी ने 1528 ईश्वी में अयोध्या पर हमला किया. इस्लामी आक्रमणकारियों से मंदिर को बचाने के लिए रामभक्तों ने 15 दिन तक लगातार संघर्ष किया . मंदिर पर कब्ज़ा न कर पाने पर, मंदिर को तोपों से उड़ा दिया गया. इस संघर्ष में लगभग 1,71,000 राम भक्त मारे गए.
मंदिर तो तोड़ने के बाद "मीरबाक़ी" ने वहां मस्जिद का ढांचा खड़ा कर दिया और हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए "बाबर" के एक गुलाम गिलमा "बाबरी" के नाम पर इसका नाम बाबरी मस्जिद रख दिया. 1528 से 1949 तक के कालखंड में श्रीरामजन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण हेतु 76 संघर्ष / युद्ध हुए हैं.
इस पवित्र स्थल हेतु महारानी राज कुंवर तथा अन्य कई विभूतियों ने भी संघर्ष किया. अंग्रेजो के समय में 1813 में पहली बार बाबरी ढाँचे पर राम मंदिर का आधिकारिक दावा किया था. उनका दावा है कि अयोध्या में राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी. हिंदुओं के दावे के बाद से विवादित जमीन पर नमाज के साथ-साथ पूजा भी होने लगी. 
1853 में अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय पहली बार अयोध्या में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की.  इसके बाद भी 1855 तक दोनों पक्ष एक ही स्थान पर पूजा और नमाज अदा करते रहे. 1855 के बाद मुस्लिमों को मस्जिद में प्रवेश की इजाजत मिली, लेकिन हिंदुओं को अंदर जाने की मनाही थी.
ऐसे में हिंदुओं ने मस्जिद के मुख्य गुम्बद से 150 फीट दूर बनाए राम चबूतरे पर पूजा शुरू की.1858 में 25 निहंग सिक्खों ने बाबरी ढांचे में प्रवेश कर राम नाम का अखंड हवन किया था और उनके खिलाफ FIR भी हुई थी. 1859 में ब्रिटिश सरकार ने विवादित जगह पर तार की बाड़ लगवा दी. 
1855 से 1885 तक फैजाबाद के अंग्रेज अफसरों के रिकॉर्ड में मुस्लिमों द्वारा विवादित जमीन पर हिंदुओं की गतिविधियां बढ़ने की कई शिकायतें मिली हैं. 1885 रघुवर दास ने पहली बार अदालत में लगाई. 1934 में अयोध्या में दंगे भड़के. बाबरी ढाँचे का कुछ हिस्सा तोड़ दिया गया. इसके बाद विवादित स्थल पर नमाज बंद हो गई.  
जादी के बाद कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट ने मंदिर के द्वार पर ताले लगा दिए, 1950 में हिंदू महासभा के वकील गोपाल विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की मूर्ति की पूजा का अधिकार देने की मांग की. एक पुजारी को दिन में दो बार ढांचे के अंदर जाकर दैनिक पूजा और अन्य अनुष्ठान संपन्न करने की अनुमति दी.
1959 में निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया. इसके बाद 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड (सेंट्रल) ने मस्जिद व आसपास की जमीन पर अपना हक जताया. 1983 में मुजफ्फरनगर में संपन्न एक हिन्दू सम्मेलन में  वरिष्ठ कांग्रेसी नेता "श्री दाऊ दयाल खन्ना" ने मार्च, अयोध्या, मथुरा और काशी के स्थलों को फिर से अपने अधिकार में लेने हेतु हिन्दू समाज का प्रखर आह्वान किया.
उस समय देश के दो बार के अंतरिम प्रधानमंत्री श्री गुलजारी लाल नंदा भी मंच पर उपस्थित थे. उसके बाद विश्व हिन्दू परिषद् ने इसे अपना लक्ष्य बना लिया. अप्रैल1984 में विश्व हिन्दू परिषद् ने नई दिल्ली में आयोजित पहली धर्म संसद ने जन्मभूमि के द्वार से ताला खुलवाने हेतु जनजागरण यात्राएं करने का प्रस्ताव पारित किया.
विश्व हिन्दू परिषद् ने अक्तूबर, 1984 में जनजागरण हेतु सीतामढ़ी से दिल्ली तक राम-जानकी रथ यात्रा शुरू की. लेकिन श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के चलते एक साल के लिए यात्राएं रोकनी पड़ी थीं. अक्तूबर, 1985 में रथ यात्राएं पुन: प्रारंभ हुईं. इन रथ यात्राओं से हिन्दू समाज में प्रबल उत्साह जाग उठा.
उन्ही दिनों एक याचिका पर सुनबाई करते हुए फैजाबाद के जिला दंडाधिकारी ने 1- फरवरी, 1986 को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के द्वार पर लगा ताला खोलने का आदेश दिया. उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे श्री वीर बहादुर सिंह और देश के प्रधानमंत्री थे श्री राजीव गांधी. राम भक्त मंदिर के गर्भगृह में जाकर पूजा करने लगे.
जनवरी-1989 में प्रयागराज में कुंभ मेले के पवित्र अवसर पर त्रिवेणी के किनारे विश्व हिन्दू परिषद् ने धर्म संसद का आयोजन किया और तय किया गया कि - देश के हर गांव में रामशिला पूजन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और उनको अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए भेजा जाएगा.
पहली रामशिला का पूजन श्री बद्रीनाथ धाम में किया गया. देश और विदेश से ऐसी 2,75,000 रामशिलाएं अक्तूबर, 1989 के अंत तक अयोध्या पहुंच गईं. इस कार्यक्रम में लगभग 6 करोड़ लोगों ने भाग लिया. 9 नवम्बर, 1989 को बिहार के वंचित वर्ग के एक बंधु श्री कामेश्वर चौपाल द्वारा शिलान्यास किया गया.
उस समय श्री नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और प्रधानमंत्री थे श्री राजीव गांधी. इसके बाद देश में राजनैतिक घटनाक्रम बदला और केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह और उ.प्र. में मुलायम सिंह की सरकार बन गई. 24 जून, 1990 को संतों ने 30 अक्तूबर 1990 से मंदिर निर्माण हेतु कारसेवा शुरू करने का आह्वान किया.
30 अक्तूबर 1990 को हजारों रामभक्तों ने मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खड़ी की गईं सारी बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री मुलायम ने रामभक्तों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया जिसमे हजारों रामभक्त मारे गए.
जनश्रुतियों के अनुसार, श्री राम मंदिर को बचाने और उसके पुनर्निर्माण के लिए हुए युद्धों और आंदोलनों में, अब तक कुल 1 लाख 87 हजार 213 रामभक्त अपना बलिदान दे चुके हैं. उत्तर प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ सरयू तट पर राम की पैड़ी पर दीपावली मनाई और इतनी ही संख्या में दिए जला कर बलिदानियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की.
से हर साल दीयों की संख्या दो गुनी तीन गुनी करते जा रहे हैं.

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