
पौरस तो बस एक राज्य का राजा था. भारत में उस तरह के अनेको राज्य थे इसलिए पौरस पर सिकन्दर की विजय भारत की विजय तो नहीं कही जा सकती और भारत तो दूर चीन,जापान जैसे एशियाई देशों को भी तो जीतना बाँकी ही था, फिर वो विश्व-विजेता कहलाने का अधिकारी कैसे हो गया ? भारत में भी सिकंदर व्यास नदी से आगे नहीं बढ़ सका था और शर्मनाक तरीके से हारकर भागा था.
दरअसल सिकन्दर पूरे यूनान, ईरान, ईराक, बैक्ट्रिया आदि को जीतते हुए आ रहा था, इसलिए भारत में उसके पराजय और अपमान को यूनानी इतिहासकार सह नहीं सके, इसलिए झूठी कहानी बनाकर सिकंदर को विश्व विजेता बता दिया. उन्ही कहानियों के आधार पर भारत के राष्ट्र बिरोधी इतिहासकारों ने सिकंदर को महान और विश्व विजेता घोषित कर दिया और एक कहावत गढ़ दी-' "जो जीता वही सिकंदर"
दक्षिणी यूरोप, मध्य एशिया और उत्तरी अफ्रीका के ही कुछ राज्य सिकंदर जीत सका था. दक्षिण एशियाई राज्य, दक्षिणी अफ्रीकी राज्य, उत्तरी अमेरिका , दक्षिणी अमेरिका , आस्ट्रेलिया, यूरोप आदि के, सैकड़ों राज्यों में सिकंदर तो क्या सिकंदर का नाम तक नहीं पहुंचा था, फिर भी पता नहीं क्यों और किस आधार पर पश्चिमी इतिहासकारों को सिकंदर को विश्व विजेता घोषित कर दिया था.
रही बात सिकंदर की महानता की तो भी पोरस, सिकंदर से ज्यादा महान राजा था. सिकंदर की पत्नी ने पोरस को राखी बाँधकर भाई बनाते हुए सिकंदर के लिए जीवनदान माँगा था. युद्ध में सिकंदर का बध करने की स्थिति बन जाने के बाबजूद पोरस ने राखी की लाज रखते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया था. किसी को बहन मानकर उसके पति को जीवनदान देने वाला महान हुआ या हत्यारा ?
जबकि सिकन्दर की सेना जहाँ भी गई, उसने महिलाओं का अपहरण किया, बच्चों को तलवार से काट दिया. समस्त नगरों को आग लगा दी ईरान की दो शाहजादियों को सिकन्दर ने बलपूर्वक अपनी रखैल बना लिया. उसके सेनापति जहाँ-कहीं भी गए, पुरुषो की हत्या कर महिलाओं को बल-पूर्वक उठा लाये. सिकंदर जैसे अत्याचारी हमलावर को महान राजा बताना "महान" शब्द का ही घोर अपमान है .
सिकंदर जैसा व्यक्ति जो लोगों की ह्त्या करके, दुनिया पर शासन करने का स्वप्न देख रहा था, उसे महान राजा कैसे कह सकते हैं ? जिसने अपने बाप (फिलिप) और सौतेले भाइयों की ह्त्या की हो, आलोचना करने के कारण अपने ही गुरु अरस्तु के भतीजे "कालस्थनीज" को मरवा दिया हो, पिता के विश्वासपात्र सहायक परमेनियन की धोखे से ह्त्या कर दी हो, उस सिकंदर को महान कैसे कहा जा सकता है ?
चन्द्रगुप्त की वीरता ने, सिकंदर को व्यास नदी से आगे बढ़ने ही नहीं दिया था. चाणक्य की रणनीति में उलझकर सिकंदर की सेना बागी हो गई थी. सिकंदर के सेनापति "सेल्यूकस" को पराजय के बाद अपनी जान बचाने के लिए, संधि करने के लिए अपनी बेटी "हेलेन" की शादी चन्द्रगुप्त से करनी पडी थी. भारत को जीतने में असफल होकर वापस लौटते समय निराशा और घावों के चलते उसकी म्रत्यु हो गई थी.

हम हिन्दुस्थानियों की बहुत बड़ी भूल है कि - हम अपने बच्चो को पश्चिमी इतिहासकारों का लिखा झूठा इतिहास पढ़ा रहे हैं. पोरस और चन्द्रगुप्त जैसे राजाओं को महान बताने के बजाये, सिकंदर जैसे अत्याचारी और भगौड़े को महान बता रहे हैं. इसलिए अब याद रहे कि - आप अपने बच्चों को यह नहीं सिखायेंगे कि - "जो जीता वही सिकंदर" बल्कि यह सिखायेंगे कि - " जो जीता वो चन्द्रगुप्त"
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