Tuesday, 18 October 2022

देश का राष्ट्रगान, राष्ट्रभक्ति से भरा होना चाहिए

 किसी भी देश का "राष्ट्रगान" कोई ऐसा गीत होता है, जिसको प्रतिदिन गाने से देश वाशियों में राष्ट्रवाद की भावना प्रबल हो. आज आवश्यकता है कि - लोग जागरूक हों और यह सवाल उठायें कि - आखिर इस गीत में ऐसा क्या है, जो इसे हमारा राष्ट्रगान बनाया गया है ?

अंग्रेज तो किसी भी राष्ट्रवादी गीत, लेख या किताब पर प्रतिबध लगा दिया करते थे और जो गीत आजादी से 37 साल पहले अंग्रेज राजा के सामने गाया गया हो और अंग्रेजों ने उसपर कोई ऐतराज न जताया हो, तो कम से कम उस गीत का भावार्थ तो देशवाशियों को पता होना ही चाहिए
इसको समझने के लिए हमें उस काल खंड में जाना होगा. उसका क्रमवार विवरण पता करना होगा. इस गीत का पूरा सही भावार्थ तो कोई भाषाई विद्वान् ही बता सकता है लेकिन फिलहाल जो भावार्थ बताया जाता है, उसको तो हमें जान ही लेना चाहिए.
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हे भारत की जनता के अधिनायक (Superhero), तुम्हारी जय हो.
भारत की जनता अपने मन से आपको भारत का भाग्य विधाता मानती है.
तुम्हारे भारत आने से पंजाब, सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र, दक्षिण भारत, उड़ीसा, बंगाल
( आदि सभी प्रांत) और बिंध्याचल - हि्मालय (सभी पर्वत), तथा यमुना और गंगा (सभी नदियाँ) सभी प्रसन्न है, हम सब तुम्हारा नाम लेकर ही जागते है . हम तुम्हारा आशीर्वाद चाहते है और तुम्हारी ही हम यशगाथा गाते है.
हे भारत के मगल दायक, हे भाग्य विधाता.
तुम्हारी जय हो जय हो जय हो.
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अगर ऊपर बताया गया भावार्थ सही है तब तो हमें इस पर पुनर्बिचार करना चाहिएम. लेकिन हां, यदि कोई विद्वान् कोई ऐसा दूसरा भावार्थ बताता है - जिसके अनुसार इसमें भारत माता की प्रार्थना है तो हम उस भावार्थ को स्वीकार करके बे-झिझक क्षमा भी मांग लेंगे.
हमें बिचार करना चाहिए कि- अंग्रेजों ने "वन्देमातरम" से लेकर "दूर हटो ए दुनिया वालों" तक, अनेकों गीतों पर प्रतिबन्ध लगाया. अंग्रेजो ने वीर सावरकर के ग्रन्थ "1857 : प्रथम स्वातंत्र्य समर" पर प्रतिबन्ध लगाया लेकिन इस गीत से उनको कोई आपत्ति नहीं थी.
जब कभी क्रांतिकारियों और क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास पढ़ते है तो उसमे यही मिलता है कि - देशभक्त क्रान्तिकारी लोग "वन्देमातरम", "पगड़ी सम्हाल" , "मेरा रंग दे बसन्ती चोला" , "सरफरोसी की तमन्ना" , "सारे जहाँ से अच्छा", "देश नू चल्लो", आदि गीत को गाया करते थे.
कम से कम मैंने तो कहीं नहीं सुना और न ही किसी किताब में पढ़ा है कि - क्रांतिकारियों ने अपना कोई क्रांतिकारी अभियान, कभी "जन गण मन" के साथ प्रारम्भ किया हो या कोई क्रांतिकारी "जन गण मन" गीत, गाता हुआ फांसी के फंदे पर झूल गया हो.

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