वामपंथी सोंच रखने वाले कवियों, कथाकारों और इतिहासकारो ने श्रीकृष्ण और पांडवों का महत्व कम करने के लिए अंगराज कर्ण को बड़ा दिखाने का मिथ्याप्रयास किया है जबकि यह निर्विवाद सत्य है कि - उस युग में महारथी अर्जुन ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे और दुर्योधन को बर्बाद करने में कर्ण का योगदान भी शकुनि से कम नहीं था.
शकुनि तो हमेशा ही दुर्योधन को बिना युद्ध के ही जितवा देना चाहता था लेकिन कर्ण दुर्योधन को हमेशा युद्ध के लिए उकसाता रहता था और बात बात में दुर्योधन से कहता था कि - डरते क्यो हो मित्र, चलो युद्ध करते है. कर्ण ने इसी तरह चने के झाड़ पर चढ़ाकर दुर्योधन की लँका लगा दी थी. जबकि हर मुकाबले में कर्ण अर्जुन से हारा था.
कर्ण भी एक महान योद्धा था लेकिन वह सिर्फ खुद को अर्जुन से बड़ा साबित करने की कुंठा में जी रहा था. उसे केवल एक ही इच्छा थी कि - किसी भी प्रकार से उसका अर्जुन से मुकाबला हो और वह उसे जीत जाए. लेकिन महाभारत में कई बार ऐसे अवसर आये भी और हर बार कर्ण को अर्जुन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.
दुर्योधन भी कर्ण की बातों से बहुत प्रभावित था क्योंकि उसे लगता था अगर कर्ण अर्जुन को सम्हाल ले तो बाक़ी चारों से तो वह खुद निपट लेगा लेकिन कर्ण ने उसे हर बार निराश किया. सबसे पहले जब द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों से गुरुदक्षिणा में द्रुपद को सजा देने को कहा तो कर्ण दुर्योधन का साथ देने के बजाय भाग निकला.
द्रोपदी के स्वयंवर में जब कर्ण और अर्जुन का सामना हुआ तो अर्जुन ने अपने एक ही वाण से कर्ण का धनुष काट डाला था. जब गन्दर्भों ने दुर्योधन को बंदी बनाया था उस समय भी कर्ण दुर्योधन के साथ था परन्तु दुर्योधन को बचा नहीं सका. उस समय भी अर्जुन और भीम ने वहां आकर दुर्योधन को गन्दर्भों से मुक्त कराया था.
विराट युद्द में तो अकेला अर्जुन, पूरी कुरु सेना पर भारी पड़ा था जिसमे भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, दुर्योधन के साथ कर्ण भी शामिल था. कर्ण बड़ा योध्दा था पर वो अर्जुन से बढ़कर बड़ा योद्धा कभी नही था. ये सब वामपंथी प्रोपगेंडा था जो की हमेशा हिन्दुओ के आदर्श व्यक्तियो के खिलाफ एक खलनायक को सही दिखाने का प्रयास करते रहते है.
ये लोग कभी कर्ण के बहाने जातिवाद का मुद्दा उठाने का प्रयास करते है, तो कभी उसे निसहाय, बिचारा और प्रताड़ित दिखाते रहै, जबकि वास्तव में वह केवल एक कुंठित व्यक्ति है जो भरी सभा मे द्रौपदी को वेश्या कहता है और कभी चक्रव्यूह में 6 अन्य महारथियों के साथ मिलकर , निहत्थे और अकेले अभिमन्यु की हत्या का भागीगार बनता है.
सत्य वचन। कर्ण भारत इतिहास का प्रथम विक्टिम कार्ड होल्डर है
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