Saturday, 8 October 2022

हाईस्पीड ट्रेन "वन्देभारत" एक्सप्रेस

अंधविरोधी और उनमे भी विशेष रूप से शान्तिधूर्त हमेंशा यही चाहते हैं देश का नुकशान होने की कोई बुरी खबर मिले और उनको सरकार को कोसने का मौका मिले. जब इनको ऐसा कोई बड़ा मौका नहीं मिल पाता है तो वे छोटी छोटी मामूली घटनाओ को ही बड़ा नुकशान बताकर सरकार को कोसने लगते हैं लेकिन ऐसे प्रयास में खुद उनकी ही बदनामी होती है

जब देश में हाईस्पीड ट्रेन वन्देभारत चली तो शान्तिधूर्तों ने इस पर जगह जगह पथराव किया बजह यह बताई कि इनको नाम पसंद नहीं आ रहा. नाम तो एक बजह थी ही क्योंकि इस तरह नाम को लेने से देशभक्ति की भावना जाग्रत हो जाती है, इसके अलावा यह हाई स्पीड ट्रेन है और इसका अधिकाँश भाग स्वदेशी है तथा यह भारत की तरक्की का प्रतीक भी है
काफी समय से किसी बुरी खबर का इन्तजार कर रहे इन शान्तिधूर्तों को जैसे ही खबर मिली कि किसी रूट पर वन्देभारत ट्रेन से एक भैंस टकराई जिससे ट्रेन के इंजन के आगे लगा फाइवर शीट का खोल टूट गया, तो इनका दिल ख़ुशी से झूम उठा इसको लेकर दर्जनों पोस्ट्स लिख डालीं. परन्तु ऐसा करने से भी इनको फायदा होने के बजाये नुकशान ही हुआ.
पहली बात तो यह कि ट्रेन या इंजन को कोई नुकशान नहीं हुआ बल्कि सामने का फाइबर का खोल टूट गया. यह फाइवर का खोल के दो काम है एक ट्रेन की सुंदरता बढ़ाना और दूसरे हवा को काटकर का हवा का प्रेशर इंजन पर कम करना. यह फोल्डिंग हैऔर मात्र चन्द स्क्रू खोलकर कुछ ही समय में बदला जा सकता है. न भी टूटें तो इनको रूटीन में भी बदला जाता है
दूसरी बात यह कि रेल की पटरी रेलगाड़ी के चलने के लिए ही है. जहाँ अधिकृत रेलवे क्रासिंग है आप केवल वही से रेल लाइन पार कर सकते हैं. रेल की पटरी पर दुर्घटना होने पर इंश्योरेंस क्लेम तक नहीं मिलता है. ये नियम आज से नही बल्कि हमेशा से ही हैं. ट्रेन ने खेत में जाकर भैंस को टक्कर नहीं मारी थी बल्कि भैंस मालिक की गलती से भैंस पटरी पर आ गई थी.
वन्देभारत बहुत अच्छी ट्रेन है और हमने तो इसका बहुत लाभ उठाया है. हमको जब लुधियाना से जम्मू जाना होता है तो हम सुबह 6 बजे की ट्रेन बेगमपुरा से जम्मू जाते है और वापसी में सवा चार वाली वन्देभारत ट्रेन से वापस लुधियाना आ जाते है. जहाँ अन्य गाड़ियां साढ़े चार से छ घंटे लेती है वहीं वंदेभारत मात्र सवा तीन घंटे में जम्मू से लुधियाना पहुंचा देती है.
एक बात और कहना चाहूंगा कि आप लोग देख रहे होंगे कि - कोई छोटी बड़ी दुर्घटना की खबर आते ही अंधविरोधी कम्बख्त खुश हो जाते है , जबकि चाहे किसी की भी सरकार हो स्वयंसेवक दुर्घटना में फंसे लोगों की मदद करने निकल पड़ते है. खन्ना रेल दुर्घटना के बाद मैं भी वहां पहुंचा था. इसके आलावा मेरे जो वर्कर खन्ना में ही थे उन लोगों ने भी वहां सेवा काम किया था.

No comments:

Post a Comment