Saturday, 8 October 2022

मैसूर राज्य : वोडेयार वंश और हैदर / टीपू

मैसूर से बेंगलुरू के बीच चलने वाली "टीपू एक्सप्रेस" का नाम बदलकर "वोडेयार एक्सप्रेस" किया गया है. मैसूर की जनता लम्बे समय से यह मांग कर रही थी. ट्रेन का नाम बदले जाने के खिलाफ भी कुछ अंधविरोधियों ने आवाज उठाई है. इसलिए मैं आपको टीपू के खानदान और वोडेयार वंश की जानकारी दे रहा हूँ जिससे भ्रम दूर हो सके.
कर्नाटक के अधिकाँश हिस्से पर लम्बे समय तक वोडेयार राजवंश का शासन रहा है. इस राजवंश ने मैसूर पर 1399 से 1761 और पुनः 1799 से 1947 तक शासन किया है. केवल थोड़े समय 1761 से 1799 तक ही हैदर अली और उसके बेटे टीपू का मैसूर पर कब्ज़ा रहा. इस कालखंड में टीपू ने राज्य की हिन्दू जनता पर बहुत अत्याचार किया
वोडेयार राजवंश की स्थापना 1399 में यदुराया वोडेयार ने की थी. वे हिमालय के तराई के मूल निवासी थे मैसूर क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर वहीँ बस गए थे. उन्होंने 1423 तक विजयनगर साम्राज्य के तहत मैसूर पर शासन किया. यदुराया वोडेयार के बाद, मैसूर राज्य विजयनगर साम्राज्य के तहत वाडियार शासकों द्वारा शासित रहा.
1565 में विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद, मैसूर एक स्वतंत्र साम्राज्य बन गया. 1761 तक वोडेयार राजवंश का ही मैसूर पर शासन रहा. परन्तु उनके एक सेवक हैदर अली ने कुछ अन्य अधिकारियों को साथ लेकर राजा कृष्णराज द्वितीय (इम्मडि कृष्णराज ऒडॆयर् 1734 - 1766) से गद्दारी कर उन्हें हटाकर मैसूर पर कब्ज़ा कर लिया,
मैसूर की अधिकांश जनता हिन्दू धर्म को मानने वाली थी इसलिए हैदर ने कभी भीकट्टर इस्लामी नीति का प्रदर्शन नहीं किया बल्कि अपने हिन्दू मंत्री पूर्णिया पंडित को आगे रखकर शासन किया. 1782 में हैदर अली की मृत्यु हो जाने के बाद उसका बेटा टीपू मैसूर का राजा बन गया. टीपू ने पिता से उलट मैसूर को इस्लामी राज बनाने का प्रयास किया।
टीपू का असली नाम "सुल्तान फतेह अली खान शाहाब" था टीपू अपने आपको दक्षिण का औरंगजेब साबित करना चाहता था. उसने हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन करने के लिए लालच देने और जुल्म करने दोनों का सहारा लिया. टीपू की कट्टर इस्लामी नीतियों के कारण हैदर के पुराने साथी भी टीपू से अलग हो गए. टीपू ने राज्य की हिन्दू जनता पर बहुत जुल्म किये
उन दिनों भारत में अंग्रेज भी पैर फैला रहे थे और फ्रांसीसी भी. राजा कृष्णराज वोडेयार द्वितीय के वंशजों ने अपना राज्य वापस पाने के लिए अंग्रेजों से मदद मांगी, राज्य की हिन्दू जनता भी टीपू के जुल्म से परेशान थी, उसने भी कृष्णराज वोडेयार तृतीय का साथ दिया. इधर टीपू ने अंग्रेजों से निपटने के लिए फ्रांसीसियों का साथ लिया मगर उसे धोखा मिला
1799 की लड़ाई में टीपू की मौत हो गई और कृष्णराज वोडेयार तृतीय (मुम्मडि कृष्णराज ऒडॆयरु 1799 - 1868) मैसूर के राजा बन गए. धीरे धीरे देश पर अंग्रेजों का शासन हो गया और कृष्णराज वोडेयार तृतीय और उनके वंशज अंग्रेजी सत्ता के अधीन मैसूर पर शासन करते रहे. 1947 में देश आजाद होते समय मैसूर का भी भारतबर्ष में विलय हो गया.
इसी वोडेयार वंश के नाम पर टीपू एक्प्रेस का नाम बदलकर वोडेयार एक्प्रेस किया गया है

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