Sunday, 2 October 2022

कांग्रेस ने केवल चरखे की ही नहीं और भी बहुत कहानिया बना रखीं हैं

आज लाल बहादुर शास्त्री जी  की महानता को लेकर एक कहानी पढ़ी जिसमे बताया गया है कि - लाल बहादुर शास्त्री जी जब रेल मंत्री थे तब उन्होंने अपनी माता जी को यह नहीं बताया था कि - वो रेलमंत्री हैं बल्कि ये बताया था कि रेलवे में नौकरी करते हैं. 

उस कहानी में यह भी बताया गया है कि - एक बार रेलवे का एक कार्यक्रम था उस कार्यक्रम में शास्त्री जी को पूंछते पूंछते उनकी माँ पहुँच गईं. तब उस कार्यक्रम में शास्त्री जी ने अपनी माँ के सामने भाषण नहीं दिया था. 

जब उनसे इसका कारण पूंछा गया तो उन्होंने कहा - मेरी मां को नहीं पता कि मैं मंत्री हूं.  अगर उन्हें पता चल जाए तो वह लोगों की सिफारिश करने लगेगी और मैं मना भी नहीं कर पाऊंगा. शास्त्री जी की इस बात को लेकर बहुत प्रशंसा की गई है.

लेकिन मेरे मन में इस कहानी   लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं. जैसे कि- जिस किताब या अखबार से यह कहानी ली गई है क्या उस किताब / अखबार में यह भी लिखा था कि- यह कार्यक्रम किस शहर में हुआ था  और किस स्तर का कार्यक्रम था ?

जो डर उनको माँ से था कि- वो उनके पास सिफारिस लेकर आने लगेंगी. क्या उनको ऐसा डर अपनी पत्नी और अन्य रिश्तेदारों से नहीं था ? अपनी माँ के बारे में ऐसा सोंचने की उनकी आखिर क्या बजह रही होगी ?

अब रही बात लाल बहादुर शास्त्री जी की नौकरी की, तो उनका जन्म 1904 में हुआ था और उनकी माता जी को भी पता था कि- देश के आजाद होने तक 43 साल की आयु के होने तक उन्होंने कोई  नौकरी नहीं थी,  

शास्त्री जी लगभग 50 साल की आयु में रेलमंत्री बने थे तो उस समय उनकी माता की आयु भी लगभग 70 साल की तो रही ही होगी. अगर आज रेलवे का कोई कोई कार्यक्रम  हो तो क्या कर्मचारी की बूढी माँ ऐसे ही अपने आप उस कार्यक्रम में पहुँच जायेगी ?

आजाद भारत में भी रेल मंत्री बनने से पहले वे सांसद, उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव, गृहमंत्री, आदि जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके थे. इसलिए ये सोंचना कि उनकी माता को यह पता नहीं था कि- वे रेलवे में नौकरी नहीं करते हैं , मुझे तो बिलकुल झूठ लगता है


No comments:

Post a Comment