
पाकिस्तान से युद्ध के दौरान 9 दिसंबर 1971 भारत के दिन पाकिस्तान के "पीएनएस हैंगर" और भारत के "आईएनएस खुखरी" के बीच दीव समुद्र तट से 40 नाटिकल मील दूर पर मुकाबला हुआ. इसी बीच एक पाकिस्तानी सबमरीन की ओर से तीन तारपीडो दागे गए. उस समय खुखरी में भारत के 18 अफसर और 176 नौसैनिक को अपनी जान गंवानी पड़ी.
भले ही हमें पाकिस्तान से युद्ध में विजयश्री मिली लेकिन इस युध्द में खुखरी पर सवार 18 अधिकारियों और 176 नाविकों यानी 194 बहादुर फौजियों को देश ने खो दिया. आईएनएस खुखरी के हादसे में 61 नौ सैनिक और छह अधिकारी अपनी जान बचा पाए थे. खुखरी से बचने के बाद इन लोगों को संयोग से एक नाव मिल गई थी.
आईएनएस खुखरी के कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला चाहते तो अपनी जान बचा सकते थे लेकिन उन्होंने जहाज नहीं छोड़ा और जहाज के साथ जल समाधि ले ली थी. भारत ने इस घटना के दो दिन बाद 11 दिसंबर को जबरदस्त हमला कर, कराची बंदरगाह पर कब्जा कर लिया था. युद्ध की समाप्ति के बाद कैप्टेन महेंद्र नाथ मुल्ला को मरणोपरांत महावीर चक्र दिया गया.
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