Wednesday, 9 May 2018

जिन्ना की बेटी डीना वाडिया

देश का विभाजन और विभाजन के समय हुए लाखों लोगों के क़त्ल के जिम्मेदार "जिन्ना" पर सवाल उठने पर जिन्ना के समर्थक कैसे कैसे कुतर्क देते है , देखकर आश्चर्य होता है. सभी भारत वाशियों को चाहे वह हिन्दू हो या मुसलमान, उसे जिन्ना की तश्वीर को सम्मान देने का बिरोध करना चाहिए था, मगर यहाँ लोग उसकी सफाई दे रहे है.
जब उनके सारे कुतर्क काट दिए गए और वे निरुत्तर हो गए तो अब अपनी शर्मिंदगी को छुपाने के लिए एक दो नए कुतर्क और लाये हैं , हालांकि उनको खुद पता है कि- अपने इन कुतर्कों पर भी दो तीन कमेन्ट से आगे जबाब नहीं दे पायेंगे. ऐसा ही एक कुतर्क जिन्ना की बेटी डीना वादया और जिन्ना के नाम की अन्य इमारतों को लेकर कर रहे हैं.
उनका कहना है कि- भारत में जिन्ना हाउस / जिन्ना टावर अदि जैसी जिन्ना के नाम की कई इमारते हैं उनको तोड़ क्यों नहीं देते ? तो इस पर मेरा जबाब है कि- इनको हम तोड़ें क्यों ? यह तो अब भारत की संपत्ति है. पापिस्तान से युद्ध के समय जो टैंक, गाड़ियाँ, हथियार आदि भारत ने छीने थे वो आज भारत की संपत्ति है न कि पापिस्तान की.
अंग्रेजों ने अपने शासन के समय जो इण्डिया गेट, गेट वे आफ इण्डिया, वायसराय हाउस, विक्टोरिया मेमोरियल, रेल नेटवर्क आदि बनाया था उस आज भारत का अधिकार है न कि अंग्रेजों का. इसी तरह जिन्ना की तथा जिन्ना के नाम की प्रत्येक प्रापर्टी पर सरकार का कब्जा होना चाहिए तथा उनका नाम भारतीय महापुरूषों के नाम पर रखा जाना चाहिए.
अब बात करते हैं जिन्ना की बेटी "डीना" की. उन कुतर्कियों (ज्यादातर मुस्लिम्स) का कहना है कि- वादिया ग्रुप का भी बिरोध होना चाहिए क्योंकि वो जिन्ना का दामाद है. इसका जबाब भी अलग अलग कई जगह दे चुका हूँ फिर भी सबको बताने के लिए यहाँ इस पोस्ट में इसका जबाब दे रहा हूँ. डीना वादिया उनका परिवार हमारी नफरत के नहीं बल्कि सम्मान के योग्य है.
डीना का जन्म 15 अगस्त 1919 में हुआ था. 1929 में उनकी माँ की म्रत्यु रहस्यमयी परितिथियों में हो गई थी. माँ की मौत के बाद 10 साल की बच्ची डीना आश्चर्यजंक रूप से अचानक ही अपने पिता से दूर रहने लगी थी. तब डीना की बुआ ने डीना को सम्हाला. इधर जिन्ना राजनीति और पापिस्तान की योजना में व्यस्त होकर बेटी को भूल गए.
उनको अपनी बेटी की याद 1937 में तब आई जब उनको पता चला कि - उनकी 17 साल की बेटी का एक पारसी व्यापारी के बेटे "निवेल वाडिया" से प्रेमप्रसंग चल रहा है. तब उन्होंने अपनी बहन को फटकार कर निकाल दिया और "डीना" पर सख्ती करने की कोशिश की, क्योंकि इससे उनकी कट्टर मुस्लिम धार्मिक राजनीति पर असर पड़ सकता था.
लेकिन डीना ने अपने पिता और मजहब को छोड़ दिया और 1938 में पारसी रीति रिवाज के साथ निवेल वाडिया से शादी कर ली. इससे उनके दो बच्चे हुए. एक नुस्ली वाडिया दुसरे का नाम अभी याद नहीं. नुस्ली वाडिया के दो बेटे हैं एक नेस वाडिया और दूसरा जहांगीर वाडिया. वाडिया परिवार भारत का बहुत बड़ा सफल औद्योगिक घराना है.
जिन्ना ने पापिस्तान बनाया लेकिन "डीना" ने न पापिस्तान से कोई मतलब रखा था और न अपने पिता से. शादी करने के बाद वह अपने पिता से कभी नहीं मिली. 1948 में जिन्ना की म्रत्यु के बाद वह अवश्य पापिस्तान गई. उसके बाद उन्होंने पापिस्तान से कोई मतलब नहीं रखा. 85 साल की आयु में वे दुसरी और आखिरा बार वह 2004 में पापिस्तान गईं.
2017 में 98 साल की आयु में उनकी म्रत्यु अमेरिका में हुई. अब आप ही बताइये "डीना वाडिया" को सच्ची भारतीय कहकर सम्मान देना चाहिए या उनको जिन्ना की बेटी कहकर नफरत करनी चाहिए ? नफरत तो हमें उन भारतीयों से है जो भारत के प्रधान मंत्री को तो गाली देते हैं और पापिस्तान के कायदे आजम की पूजा करते हैं . वंदेमातरम्

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