Thursday, 9 January 2020

क्या शाहजहाँ ने दिल्ली को मुघलो की राजधानी बनाया था ?

Image result for लालकिलाशाहजहाँ का जन्म हुआ - 5 जनवरी 1592 को लाहौर (पाकिस्तान)
शाहजहाँ राजा बना -14 फ़रवरी 1628 ( भाई खुसरो से सत्ता संघर्ष के बाद)
शादियाँ की - 9 ( कन्दाहरी बेग़म, कबराबादी महल, मुमताज महल, हसीना बेगम, 
मुति बेगम, कुदसियाँ बेगम, फतेहपुरी महल, सरहिंदी बेगम, मनभाविथी
बच्चे - 14 बच्चे तो केवल मुमताज़ से ही थे, बाक़ी का आप खुद पता करें
शाहजहा का राज - 1628 से 1658 हमेशा आगरा में ही रहा
आगरे के लालकिले में कैद -1658 से 1666 म्रत्यु तक
शाहजहाँ की म्रत्यु - 22 जनवरी 1666
दिल्ली मुघलों की राजधानी बनी - 1679 में (शाहजहाँ का राज जाने के 21 साल बाद)
स्कूल की किताबों में दिल्ली का इतिहास बताते समय यह बताया जाता है कि- दिल्ली को शाहजहाँ ने बसाया, वहां लालकिला बनाया और दिल्ली को मुघल सल्तनत की राजधानी बनाया. यह बिलकुल झूठ है क्योंकि दिल्ली को मुघल सल्तनत की राजधानी शाहजहाँ ने नहीं बल्कि शाहजहा की सत्ता जाने के 21 साल बाद औरंगजेब ने बनाया था.
दिल्ली किसने बसाई और कितनी बार उजड़ी इसके बारे में विस्तार से अगली पोस्ट में लिखूंगा, यहाँ इस पोस्ट में केवल दिल्ली को मुघलों की राजधानी बनाने की बात पर चर्चा करते हैं. बाबर से लेकर शाहजहाँ तक आगरा ही मुघल सत्ता का केन्द्र रहा था और सभी ने आगरा से ही अपने राज का संचालन किया था.
शाहजहाँ अपने बड़े बेटे "दारा शिकोह" को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहता था लेकिन उसके छोटे बेटे औरंगजेब ने कट्टरपंथियों को साथ मिलाकर अपने भाईयों और भतीजों की हत्या कर दी तथा अपने पिता और बहन को कैद में डालकर 1658 में आगरा का राजा बन गया. औरंगजेब ने भी 21 साल तक आगरा से ही शासन चलाया.
दरअसल अपने पिता-बहन को कैद करने, अपने भाई - भतीजों को क़त्ल करने के कारण औरंगजेब को आगरा में कभी सम्मान नहीं मिला. क्योंकि इस्लाम में भले ही अपने पिता, चाचा, भाई, आदि की हत्या कर सत्ता हाशिल करने की परम्परा रही हो लेकिन भारत में पिता, भाई का सम्मान और त्याग करने वाले को ही सम्मान दिया जाता है.
आगरा की जनता अत्याचारी औरंगजेब से डरती अवश्य थी लेकिन सम्मान नहीं देती थी. इसके अलावा औरंगजेब के जुल्मो से परेशान होकर इलाके की जनता (खासकर जाट, गूजर, अहीर) बाग़ी हो गये थे. गोकुला जाट का विद्रोह उसने भले ही कुचल दिया था लेकिन उस विद्रोह के कारण मुग़ल सत्ता भीतर से दहल गई थी.
दिल्ली पहले भी कई बार भारत की सत्ता का केन्द्र रह चुकी थी. वहां काफी बड़ी आवादी भी रहती थी और अनेकों ऐतिहासिक इमारते मौजूद थी. अपनी सत्ता जाने से 4 साल पहले 1652 में शाहजहाँ ने दिल्ली की कुछ पुरानी इमारतों और उजाड़ पड़े हुए किले की मरम्मत करने में रूचि दिखाई थी, लेकिन सत्ता जाने के बाद वह काम आगे नहीं बढ़ा.
जब आगरा में औरंगजेब मुश्किल का सामना कर रहा था तब उसने अपनी राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया. उसने दिल्ली की इमारतों और किले की मरम्मत पर काफी धन व्यय किया और इसे अपने पिता का सपना कह कर प्रचारित किया. ऐसा करने से दिल्ली के लोग उसे अपने पिता का भक्त मानकर सम्मान देने लगे.
औरंगजेब जानता था कि - भारत की जनता माता,पिता, भाई, बहन को सताने वाले को कभी सम्मान नहीं देती है इसलिए उसने अपने आपको सच्चा पितृभक्त दिखाते हुए अपने कार्यों को पिता के सपने के रूप में प्रचारित किया. लालकिले की मरम्मत और जीर्णोद्धार हो जाने के बाद वह 1679 में अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली ले आया.
दिल्ली में औरंगजेब ने यह दिखाया कि - वह अपने पिता की इच्छा के अनुसार लालकिले को मरम्मत कर तैयार कर रहा है. दिल्ली में राज करते हुए औरंगजेब ने अपने पिता का खूब गुणगान किया जिससे दिल्ली के लोग उसे अपने पिता का लायक बेटा मान लिया जबकि आगरा के लोग उसे कभी लायक बेटा नहीं मान सकते थे.
आजादी के बाद पहले शिक्षामंत्री बने मौलाना आजाद ने भी किताबों में यही लिखबाया. देश की जनता भी धीरे धीरे वही मानने लगी जो ये लोग मनवाना चाहते थे. मुग़ल शासको का क्रम लिखते समय बाबर, हुमायूं, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ, औरंगजेब, आदि लिखते समय ऐसे जताया जाता था जैसे इन सबके के केवल एक एक बेटा ही रहा हो.
बाबर, हुमायूं, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ, औरंगजेब, आदि नाम लिखने से ऐसा लगता है कि बहुत ही शरीफ खानदान था जहाँ बड़े आराम से सत्ता पिता से पुत्र को ट्रांसफर हो जाती थी. इनके अन्य बच्चों के सत्ता संघर्ष, षड्यंत्र, हत्याओं, आदि की घटनाओं को छुपाकर इनकी महानता को प्रचारित इनके धर्म को महान दिखाने की कोशिश की गई .

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