
बैसे फोटो से जाहिर है कि - इन 5 लोगों ने केवल एक ही कम्बल नहीं बांटा होगा बल्कि इन लोगों ने ऐसे अनेकों गरीब लोगों को कई कम्बल बांटे होंगे और उनमे से कोई एक फोटो पोस्ट किया होगा. ऐसे लोगों का मजाक बनाने के बजाय, इनसे प्रेरणा लेकर खुद भी ऐसा ही कोई सार्थक कार्य करना चाहिए, चाहे लोग कुछ भी कहते रहें.
बैसे भी बुजुर्गो का कहना है कि- समाज सेवा करने के लिए जरुरी नहीं है कि- हम बहुत अमीर हो और लाखों रुपय दान कर सकने में समर्थ हों तब ही किसी की मदद करें. अगर 5 सामान्य लोग मिलकर भी किसी एक जरुरतमंद गरीब को एक कम्बल उपलब्ध करा देते है तो मेरी नजर में वे मजाक के नहीं बल्कि साधुवाद के पात्र हैं.
अगर 5 सामान्य लोग मिलकर भी, किसी एक आदमी की कोई छोटी सी जरूरत को पूरा कर देते हैं तो यह उनकी अच्छी बात है. दान करने का महत्व केवल तब ही नहीं है जब कोई लाखों रुपय दान करे. दूसरों की छोटी छोटी मदद करना भी मामूली काम नहीं है. अगर कोई किसी अन्य के कार्य में श्रमदान भी करता है तो वह साधुवाद का पात्र है.
कुछ महीने पहले भी ऐसी ही एक फोटो पर मजाक उड़ाया जा रहा था जिसमे चार लोग किसी बुजुर्ग को केले दे रहे थे. कुछ लोग उस फोटो को लेकर उन चार लोगों का मजाक बना रहे है कि- चार लोग मिलकर एक आदमी को दो केले दे रहे हैं. फोटो को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि- चार लोग किसी हस्पताल में फल वितरित कर रहे हैं.
उस फोटो में हस्पताल के बेड पर बैठे एक ब्रद्ध व्यक्ति को फल देते समय की फोटो है. जाहिर सी बात है कि- उन चार लोगों ने केवल एक व्यक्ति को दो केले नहीं दिए होंगे बल्कि हर बेड पर जाकर मरीजों को फल बांटे होंगे. मेरी नजर में तो यह चार व्यक्ति साधुवाद के पात्र हैं. इनका मजाक बनाने के बजाय इनकी तरह बन्ने का प्रयास करना चाहिए.
प्रचार की चाहत में भी लोग अगर समाज सेवा के काम करते हैं. तो भी कोई बुराई नहीं है, तब भी लोगों का भला ही होता है. जिस जमाने में मीडिया या सोशल मीडिया नहीं था उस जमाने में भी लोग अगर किसी मंदिर, धर्मशाला, स्कूल, हस्पताल, सार्वजानिक भवन, आदि को कुछ दान देते थे तो वहां अपने नाम का पत्थर लगवाते थे
अगर किसी के फोटो खिंचाने की चाहत से भी किसी गरीब जरूरत मंद का कुछ मदद मिल जाती है तब भी उस जरूरत मंद गरीब का भला ही है. बैसे अगर फोटो वाले उन 5 लोगों ने उस दिन 100 गरीबो को 100 कम्बल भी बांटे होंगे तो उन सभी सौ के सौ फोटुओं में यही दिख रहा होगा कि - 5 लोग एक गरीब को कम्बल दे रहे हैं.
बैसे भी आज के दौर में लोग अपनी छोटी से छोटी घटना की फोटो सोशल मीडिया में डालते है. जब चार मित्र किसी रेस्टोरेंट में खाना खाते है तो उसकी फोटो डालते, चार मित्र कहीं घुमने जाते हैं तो उसकी फोटो डालते है, चार लोग मिलकर एक पौधा लगाते हैं तो उसकी फोटो डालते है, तो फिर ऐसे काम की फोटो डालना कोई अपराध थोड़े ही कहलायेगा
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