Tuesday, 7 January 2020

वामपंथ ( कम्युनिज्म ) क्या है ?

Image may contain: one or more peopleमैंने सुना है कि कहीं बैचारिक मतभेद वालों के झगडे को निपटारा करने के लिए लोगों को अलग अलग बैठने को कहा तब कम्युनिस्ट बिचार वाले वाई ओर बैठ गए और राष्ट्रवादी बिचार वाले दाईं ओर बैठ गए और दोनों के बीच वाले बिचार रखने वाले बीच में बैठ गए. तब से इनके लिए वामपंथी, दक्षिणपंथी और मध्यमार्गी शब्द प्रयोग होने लगे.
भारत में बाएं को उल्टा भी कहते हैं और भारत में कम्युनिस्ट जिस तरह के काम करते रहे हैं उसे देखते हुए तो वामपंथ को उल्टा रास्ता (अर्थात सही रास्ते को छोड़कर उलटे रास्ते पर चलना) कहना ही ज्यादा उचित होगा क्योंकि ये लोग केवल उलटे काम ही करते हैं. इनके बिचार सुनने में तो अच्छे लगते हैं लेकिन बिलकुल अव्यवहारिक होते हैं.
वैसे तो वामपंथ (उलटा रास्ता) चीन और सोवियत संघ की पहेचान के रूप में जाना जाता है और मार्क्स / लेनिन / माओ इसके प्रणेता माने जाते हैं लेकिन वास्तव में इस "उलटे बिचार" का जन्म भी भारत में ही हुआ था और इसके जन्मदाता थे "चार्वाक". चार्वाक महाभारत काल में हुए थे. चार्वाक के बारे अगली किसी पोस्ट में अवश्य लिखुगा.
कम्युनिज्म और चार्वाक की बिचारधारा का सम्बन्ध साबित करने वाले तथ्यों के बारे में भी, मैं अपनी अगली किसी पोस्ट में अवश्य करूँगा. लेकिन यहाँ केवल आपको यह समझाना चाहता हूँ कि - कम्युनिज्म वास्तव में है क्या ? कम्युनिजम केवल लोगों को उलटे मार्ग पर ले जाने वाली ऐसी बिचारधारा है जो गलत बातों को सही कहती है. जैसे -
कोई आपके नौकर से यह कहे कि - तुम्हारा मालिक तुमसे ज्यादा सुविधाओं का उपभोग क्यों कर रहा है ? मालिक गाड़ियों में घूमता है और तुम पैदल चलते हो. तुमको अपने मालिक के बरावर अधिकार मिलना चाहिए. अगर वो तुमको बराबरी का हक़ न दे तो तुम मालिक के खिलाफ हथियार उठाओ और उससे सब छीन लो - यह है कम्युनिज्म.
आपकी फैक्ट्री के मजदूरों को यह कहकर भड़काए कि- तुम लोग दिन रात दिन काम करके उत्पादन करते हो और तुमको केवल तनखा मिलती है और सारा मुनाफा मालिक ले लेता है. मुनाफा मजदूरों में बरावर बांटना चाहिए. मालिक ने मिल लगाईं है, पूंजी निवेश किया है, सारा रिस्क मालिक का है तो भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता - यह है "कम्युनिज्म"
चाहे कोई व्यक्ति ज्यादा मेहनत करे या कम मेहनत करे लेकिन सबको बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए. अगर किसी को उसकी योग्यता और मेहनत के कारण ज्यादा तथा किसी को कम योग्य होने के कारण कम मिलता है तो यह भेदभाव है. जिनको कम मिलता है उनको ज्यादा वालों से लड़कर वो सब छीन लेना चाहिए - यह है "कम्युनिज्म"
अगर कोई यह कहे कि - स्कुल की परीक्षा में किसी को कम नंबर मिलते हैं और किसी को ज्यादा तो यह अन्याय है. सभी बच्चों को बराबर अंक मिलने चाहिए, चाहे किसी ने पढ़ाई की हो या न की हो. अगर स्कुल यह भेदभाव करते हैं तो ऐसे स्कूलों को नष्ट कर देना चाहिए और स्कूल के टीचरों को मारना चाहिए. यह है "कम्युनिज्म"
जमीदार ने भले ही कितने ही करोड़ रूपय में जमींन क्यों न खरीदी हो या महंगी मशीने ( ट्रेक्टर, कम्बाईन, ट्यूबवेळ, आदि) क्यों न खरीदी हो, पैदा होने वाली फसल पर जमींदार का हक़ नहीं होना चाहिए. खेत से अनाज उगाने में खेतिहर मजदूरों ने ज्यादा मेहनत की होती है इसलिए अनाज खेतिहर मजदूरो में बराबर बंटना चाहिए - यह है "कम्युनिज्म"
Image may contain: 1 person, beard and eyeglasses, possible text that says 'कार्ल मावर्स'जमीन की मिट्टी में मिले हुए खनिजों पर केवल उस इलाके में रहने वालों का हक़ होना चाहिए भले ही वो लोग उस मिट्टी से कोई खनिज अलग कर पाने में भी समर्थ न हों. लेकिन अगर कोई व्यापारी रायल्टी देने के बाद भी मिटटी से खनिज अलग करके बेंचता है तो वो व्यापारी चोर है उसको मारकर उसकी सम्पत्ति को छीनना - यह है "कम्युनिज्म"
देश की सरकार किसी को, अधिकारी कह कर ज्यादा तनखा देती है और किसी को मजदूर कहकर कम तनखा देती है. किसी को आदेश देने वाला बना अधिकारी देती है किसी को उनका आदेश मानने वाला गुलाम. ऐसी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहिये . चाहे इसके लिए हथियार ही क्यों न उठाना पड़े . यह सोंचना है "कम्युनिज्म"
अपने पूर्वजों के गौरवशाली अतीत की प्रसंशा करने के बजाय अपने पूर्वजों को मूर्ख तथा विदेशियों को महान बताना, चलते कारखानों को बंद कराना, समानता के अधिकार के नाम पर योग्य व्यक्तियों को प्रताड़ित करना, अमीर व्यक्ति को विलेन बताना, युवाओं को देशद्रोह के लिए उकसाना, राष्ट्रवाद का विरोध करना - यह है "कम्युनिज्म"

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