Sunday, 13 August 2023

क्या है दुबई की सम्पन्नता का राज

 मैंने देखा है कि - अक्सर कुछ लोग (खासकर मुस्लिम्स) दुबई की सम्पन्नता का बखान करके उसकी भारत से तुलना कर भारत की निंदा करते रहते हैं. लेकिन वह इस बात की चर्चा कभी नहीं करते कि - आखिर दुबई में इतना धन कहाँ से आया है ? वहां की इनकम का सोर्स क्या है ? वहां पर किस चीज का उत्पादन होता है ?

वास्तविकता यह है कि - जिस तरह दुनिया भर के भ्रस्ताचारी अपना पैसा लाकर स्विट्जरलैंड की बैंको में रखते हैं और उनके पैसे को सम्हालने के कारण स्विट्जरलैंड अमीर देश बना हुआ है ठीक उसी तरह से दुबई में दुनिया भर के भ्रष्ट लोगों ने अपना पैसा रियल एस्टेट, कंस्ट्रक्शन और व्यापार में लगाया हुआ है.
दुबई केवल कहने को मुस्लिम देश है लेकिन वहां वो हर काम धडल्ले से होता है जिनको गैर इस्लामी कहा जाता है. इसीलिए इस्लामी देशों के अमीर लोग भी जो काम अपने देश के कानून के डर से नहीं कर पाते हैं उनको करने दुबई आते हैं. दुबई की अर्थव्यवस्था अन्य देशों के अमीरों द्वारा वहां किये गए इन्वेस्ट पर निर्भर है.
दुबई की कुल आबादी का लगभग 44% तो केवल भारतीय ही हैं. उसके अलावा ईरान, अरब, बलूचिस्तान, पापिस्तान, आदि की भी काफी आवादी दुबई में रहती है. दुबई की पुरी जनसँख्या का लगभग केवल 28% लोग ही वहां के मूल निवाशी है. वे लोग भी कोई काम नहीं करते बल्कि प्रवासियों के द्वारा होने वाली कमाई से ऐश करते हैं.
अब अगर किसी एक शहर ( भारत में इससे बड़े शहर हैं ) दूर दूर से केवल अमीर लोग ही आकर बस जाएँ तो वह शहर तो अमीर हो ही जाएगा. इसके अलाबा दुबई में विश्व व्यापार ( इम्पोर्ट / एक्सपोर्ट ) भी बहुत होता है लेकिन न वहां पर कोई माल बनता है, न कोई माल दुबई में आता है और न ही कोई माल दुबई से कहीं जाता है.
वे लोग भारत और पाकिस्तान जैसे परस्पर दुश्मनों की दुश्मनी का लाभ उठाते हैं. जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि भारत और पापिस्तान के बीच सीधे तौर पर केवल बहुत थोडा सा व्यापार होता है. जबकि हकीकत यह है कि भारत और पापिस्तान के बीच आज भी बहुत व्यापार होता है लेकिन वह सीधे न होकर बाया दुबई होता है.
दुबई में इम्पोर्ट / एक्सपोर्ट के आफिस खुले हुए हैं. वे भारत से माल खरीदते हैं. भारत से माल पहले भारत के बंगारगाह पहुँचता है. बंदरगाह से माल जहाज द्वारा दुबई को रबाना होता है फिर दुबई में बैठा व्यापारी उस माल को जहाज से बिना अनलोड कागजों में रिसीव करके दुबई का नया बिल काटकर उसे पापिस्तान रवाना कर देता है.
केवल भारत के पंजाब से ही पापिस्तान में अरबो का कारोबार होता है, जो दुबई में बैठे एजेंट्स के द्वारा होता है. पंजाब से बहुत बड़े पैमाने पर हौजरी का सामान, साइकिल, साइकिल पार्ट, ऑटो पार्ट्स, राईस मिल मशीनरी, बोयलर, कंफैक्सनरी मशीनरी, चावल, मेकेनिकल वर्कशाप मशीनरी, सिलाई मशीन आदि पापिस्तान जाती है.
अगर केवल "राईस मिल" की ही बात करें तो भारत के पंजाब और पापिस्तान के पंजाब में लगभग एक जैसी जमीन और एक जैसा वातावरण है. पापिस्तानी पंजाब में भारतीय सीमा के नजदीक बाले इलाकों (लाहौर , कसूर, बशीरपुर) में बहुत सारी राईस मिले हैं . इनके अन्दर सारी मशीनरी और बोयलर भारत से ही जाते है.
दुबई में आफिस खोलकर बैठा एजेंट भारत से (खासकर पंजाब से) मशीनरी मंगवाता है, फिर वह पापिस्तान को बेचता है. इसमें खर्च भी बहुत आता है और समय भी बहुत लगता है. पापिस्तानियों को वह मशीनरी भी 3 से चार गुना दाम में मिलती है. ऊपर का पैसा ट्रांसपोर्ट में खर्च होता है और दुबई में बैठे एजेंट की जेब में जाता है.
भारतीय पंजाब से पापिस्तानी पंजाब की दूरी सड़क मार्ग से बहुत कम है. लेकिन इस प्रकार से जाने में बहुत समय और बहुत खर्च आता है. अगर भारत पापिस्तान के बीच सीधा व्यापार शुरू हो जाए तो भारत और पापिस्तान दोनों को फायेदा होगा. केवल भारत पापिस्तान ही नही और भी कई दुश्मन देश बाया दुबई व्यापार करते हैं.
दुबई 1960 से पहले यह बहुत गरीब इलाका था. दुबई में सम्पन्नता 1960 के बाद आनी शुरू हुई. भारत पापिस्तान 1947 में आजाद हुए और आजाद होते ही आपस में लड़ पड़े. दोनों में दुश्मनी इतनी हो गई कि बातचीत भी बंद हो गई लेकिन दोनों को एक दुसरे की जरूरत भी थी, तब 1960 के आसपास दुबई के साथ मिलकर व्यापारियों ने यह रास्ता निकाला था
इसी प्रकार कपड़ा भी सूरत से कराची वाया दुबई जाता है. इसीलिए बिना कुछ भी मैन्युफैक्चर किये दुबई वाले कमा रहे हैं. अगर केवल भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा व्यापार शुरू हो जाए तो दुबई का आधा दम निकल जाएगा. कहने को तो दुबई इस्लामी देश है लेकिन वहां शराब का इस्तेमाल और वैश्यावृत्ति धड़ल्ले से होती है

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