Monday, 14 October 2019

अकबर की लव स्टोरीज

बॉलीबुड ने अपनी फिल्मो में मुग़लों की प्रेम कहानियों को ऐसे दिखाया है जैसे मुग़ल बहुत ही महान प्रेमी और कला प्रेमी हुआ करते थे. जबकि वास्त्विकता या है कि ये केवल ऐय्यास थे और अपनी ऐय्यासी के लिए रिश्ते और आयु का भी मान नहीं करते थे.
अकबर का पहला निकाह :
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10 साल की उम्र में अकबर का पहला निकाह 1552 में उसके अपने चाचा की लड़की रुकैया बेगम से हुआ था
अकबर का दूसरा निकाह :
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15 साल की उम्र में अकबर का दूसरा निकाह 1557 उसके अपने दरबारी अब्दुल्ला ख़ान की लड़की से से हुआ
अकबर का तीसरा निकाह :
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19 साल की आयु में अकबर ने तीसरा निकाह 1561 में सलीमा बेगम से किया. सलीमा बेगम अकबर को राजा बनाने वाले बैरम खां की बेगम थी. सलीमा अकबर से उम्र में बड़ी थी और अकबर की फुफेरी बहन भी थी. इसके अलावा वे उन बैरम खान की पत्नी थी जिसको वह चाचा कहा करता था.
कहा जाता है कि सलीमा ही अकबर का पहला इश्क़ थी और सलीमा को पाने की खातिर ही अकबर ने बैरम खान की हत्या करवा दी थी. इन्ही सलीमा बेगम और बैरम खान का बेटा था - अब्दुल रहीम (अब्दुर्रहीम) ख़ानख़ाना था. यह वही रहीम दास जी हैं जिनके दोहे आप स्कुल में किताबों में पढ़ते आये हैं.
अकबर का चौथा निकाह :
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अकबर ने 20 साल की उम्र में 1562 में चौथा निकाह किया मरियम उज जमानी से हुआ था जिसे स्कूली किताबों और बॉलीबुड फिल्मो में "जोधा बाई" भी बताया गया है. अकबर जोधा की फर्जी प्रेम कहानी पर फिल्म भी बनाई गई है. पहली बात तो यह कि जोधाबाई की कहानी ही झूठ है लेकिन अगर सच भी मान लेते हैं तो वह एक ताकतवर राजा से कमजोर राजा का समझौता मात्र रहा होगा
अकबर का पांचवा निकाह :
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अकबर ने 21 साल की उम्र में 1563 में पांचवा निकाह अपने दरबारी अब्दुल शाद की बीबी दौलत शाद से किया. कहा जाता है कि अब्दुल शाद की बीबी दौलत शाद बहुत ज्यादा खूबसूरत थी. अकबर की निगाह उस पर पद गई तो अकबर ने अब्दुल शाद को बहुत सारा धन देकर उसका तलाक करवाया और फिर उससे निकाह किया
अकबर का छठा निकाह :
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अकबर ने छठा निकाह 1564 में खानदेश की शहज़ादी से किया
अकबर का सातवा निकाह :
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अकबर ने 1569 में सातवा निकाह किया कश्मीर के सुल्तान की लड़की से
इनके साथ आकबर का निकाह हुआ था लेकिन अकबर के हरम में लगभग 500 के आसपास रखैल थी जिनमे से कुछ को खरीदकर और कुछ को लड़ाई में जीत के बाद जीत का ईनाम समझ कर उठा लिया गया था. मुगले आजम में जिस सलीम अनारकली की प्रेम कहानी के खिलाफ अकबर विलेन बना था वह अनारकली भी अकबर की रखैल थी
अगर विदेशी इतिहासकारों की लिखी बातों को माने तो, लिखित इतिहास में अनारकली का पहला जिक्र एक ब्रिटिश घुम्मकड़ व व्यापारी "विलियम फिंच" के संस्मरणों में मिलता है. फिंच ने 1608 से 1611 तक में नील का व्यापार करने के लिये लाहौर की यात्रा की थी. उसने लिखा है कि ‘अनारकली बादशाह अकबर की बीबियों में से एक थी जो अकबर के पुत्र दानियाल शाह की मां थी.
लेखक "नूर अहमद चिश्ती" ने 1860 में अपनी किताब ‘तहक़ीक़ात-ए-चिश्तिया’ में "अनारकली का नाम लिया था. उसने लिखा था कि - ‘अकबर बादशाह की सबसे खूबसूरत और पसंदीदा रखैल अनारकली थी, जिसका असली नाम शरफ़-उन-निस्सा था. अनारकली को बेटे सलीम को अपने इश्क में फंसाने का गुनेहगार मानते हुए अकबर ने, अनारकली की ज़िंदा दीवार में चुनाव दिया था.
अकबर को यह शक हो गया था कि- अनारकली का उसके बेटे सलीम (जो उस वक्त करीब 30 साल का और तीन बच्चों का बाप था ) के साथ नाजायज सम्बन्ध हैं. इसी बात पर अब्राहम रैली ने 2000 में प्रकाशित अपनी किताब "द लास्ट स्प्रिंग: द लाइव्स एंड टाइम्स ऑफ द ग्रेट मुग़लस" में लिखा है - "ऐसा लगता है कि अकबर और सलीम के बीच "ओएडिपालकॉन्फ्लिक्ट"(सौतेली माँ और पुत्र के बीच अवैद्ध सम्बन्ध को लेकर संघर्ष) था.
रैली ने अपनी बात को सिद्ध करने के लिये अब्दुल फजल द्वारा उल्लेखित एक घटना को आधार बनाया है. जिसमे वो लिखते है कि- एक शाम शाही हरम के पहरेदारों ने हरम में पकड़े जाने पर सलीम को पीटा था. कहानी यह बताई जाती है कि- एक पागल शाही हरम में घुस आया था और सलीम उसको पकड़ने के लिए हरम में घुस आया था लेकिन पहरेदारों ने उसी को ही पकड़ लिया था.
यह सुनकर बादशाह अकबर गुस्से में खुद वहां पहुंच गये और तलवार से उसका गला काटने जारहे थे कि उन्होंने सलीम का चेहरा देख कर अपना हाथ रोक लिया. 16वी शताब्दी में जन्मी और मरी अनारकली, 5 शताब्दियों की कहानी की यात्रा में 21वी शताब्दी में अकबर की बीबी से रखैल और फिर अकबर के दरबार की बांदी बन चुकी है.जो सलीम की प्रेमिका बन गई.
आज कई लोग अनारकली को काल्पनिक भी बताते है. लाहौर में अनारकली का मकबरा और उस पर "सलीम" के इश्क में डूबी हुई पंक्तिया सबूत के तौर पर लिखी होने के बाद भी, लोग उसको क्यों भुला देना चाहते हैं ? ऐसा तो नहीं कि- मुग़लिया शासन के दौर के सत्य को शर्मिंदगी से बचाने के लिए अनारकली के अस्तित्व को नकारा जा रहा है ?

जिस तरह से अलाउद्दीन खिलजी ने महारानी पद्मिनी को पाने के लिए चित्तौड़ पर हमला किया था उसी तरह दुष्ट अकबर ने रानी दुर्गावती को पाने के लिए गोंडवाना पर भी हमला किया था. जिस समय अकबर ने दुर्गावती को पाने की खातिर गोंडवाना पर चढाई की थी उस समय रानी दुर्गावती की आयु 40 बर्ष थी और अकबर की मात्र 22 साल. अकबर के एक दरवारी ने जब अकबर से यह कहा कि - वो तो आपके सामने बुढ़िया है तो अकबर का जबाब था कि - मुझे लड़कियों की कमी नहीं है , मुझे तो इन हिन्दुस्थानियों के स्वाभिमान को मसलना है. और ऐसे नीच इंसान को भी कुछ लोग महान कहते हैं. उल्लेखनीय है कि रानी दुर्गावती ने युद्ध में हार के बाद अकबर से बचने के लिए आत्महत्या कर ली थी

Pravesh Bhardwaj
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