मुमताज महल का जन्म अप्रैल 1593 में आगरा में हुआ था. मुमताज महल का वास्तविक नाम "अर्जुमंद बानो" था. वे शाहजहां के सगे मामा "अब्दुल हसन असफ़ ख़ान" की पुत्री थीं. 19 वर्ष की उम्र में मुमताज का निकाह शाहजहाँ से 10 मई, 1612 को हुआ था.
मुमताज शाहजहाँ की तीसरी पत्नी थी और उनके साथ निकाह हो जाने के बाद भी शाहजहाँ 4 निकाह और किये, जिनमे से एक निकाह तो मुमताज की मौत के बाद शाहजहाँ मुमताज की छोटी बहन से इसलिए किया कि वह मुमताज जैसी लगती थी.
शाहजहां की इतनी सारी बीबिया होने के बाद भी कहा जाता है कि - मुमताज महल शाहजहां की सबसे पसंदीदा पत्नी थी. ऐसा शायद इसलिए भी कहा जाता है कि - 19 साल के दाम्पत्य जीवन में हर साल-डेढ़ साल में एक बच्चे को जन्म देती रहीं थी.
मुमताज की इससे ज्यादा कोई कहानी नहीं है कि - शाहजहां मुमताज से अपनी बाक़ी पत्नियों / रखैलों से ज्यादा प्रेम करता था. वह जब डेक्कन में खानजहां लोदी के विद्रोह को काबू करने के लिए गया था तब भी मुमताज को साथ ले गया था.
लगभग हर साल -डेढ़ साल में बच्चे (कुल 14 बच्चे : 8 लड़के 6 लडकियां) को जन्म देने के कारण मुमताज पहले ही कमजोर हो चुकी थी, इस लम्बी यात्रा ने उसको और भी थका दिया था. 14 वें बच्चे को जन्म देते समय उसकी हालत खराब हो गई.
16 जून, 1631 को उसे प्रसव पीड़ा प्रारम्भ हुई. 30 घंटे असहनीय पीड़ा झेलने के बाद उसने 17 जून, 1631 को बेटी "गौहर आरा" को जन्म दिया और खुद मौत के आगोश में चली गई. मुमताज के शव को ताप्ती नदी के किनारे जैनाबाग में दफन कर दिया गया.
इतिहासकार अब्दुल हमीद लाहौर और आमिर सालेह ने इस मार्मिक घटना को बादशानामा में दर्ज किया है. दासियों और हकीमो ने शाहजहाँ को कई बार मुमताज की पीड़ा की खबर दी. मगर शाहजहाँ मुमताज के पास नहीं गया. वह रणनीति बनाने में व्यस्त रहा.
12 साल बाद शाहजहाँ ने बुरहानपुर से मुमताज की कब्र को खुदवाकर, उसके अवशेषों को निकवाया और आगरा लाकर दोबारा दफनाया. किसी इंसान की कब्र में से 12 साल बाद क्या निकला होगा इसका अंदाजा तो आप खुद ही लगा सकते हैं.
मुगल इतिहास में बताया गया है कि - मुमताज के उन अवशेसों को आगरा में यमुना के किनारे दुबारा दफनाकर उसके ऊपर ताजमहल भवन का निर्माण कर दिया गया. लेकिन तथ्यों की छानवीन करने और इमारत का विश्लेष्ण करने पर कुछ मतभेद हैं.
आगरा के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी संतानों को बताते आ रहे हैं कि- ताजमहल पहले अग्रेश्वर महादेव का भव्य मंदिर था. मंदिर पर कब्जा करने के लिए मूर्तियों को हटाकर इसमें मुमताज की कब्र से निकाले अवशेष दफनाकर इसको मकबरे का रूप दे दिया.
ताजमहल परिसर में ऐसे कई कमरे और तहखाने हैं जो सैकड़ों साल से बंद पड़े हैं, उनको खुलवाकर उनको भी वैज्ञानिक तरीके से चेक करना चाहिए, उनमे मिलने वाले सामान भी ताजमहल के निर्माण के रहस्य को खोलने में सहायक साबित हो सकते हैं.
ताजमहल परिसर की वैज्ञानिक और पुरात्विक तरीके से जांचकर सही तथ्यों को जनता के सामने रखना बहुत जरुरी है. जिससे विवाद यहीं ख़त्म हो जाए. यदि यह विवाद यूं ही बढ़ता रहा तो एक दिन यह साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने का कारक बन जाएगा.
मुमताज़ और शाजहाँ की सन्तानो के नाम
1. बेटी हुरलनिसा बेग़म (30 मार्च 1613 - 14 जून 1616)
2. बेटी जहाँनारा बेग़म (2 अप्रैल1614 - 16 सितंबर 1681)
3. बेटा दारा शिकोह (30 मार्च, 1615 - 8 सितंबर 1659)
4. बेटा मोहम्मद सुल्तान शाह शुजा बहादुर (3 जुलाई1616 - 1660)
5. बेटी रोशनआरा बेग़म (3 सितंबर 1617 - 1671)
6. बेटा औरंगज़ेब (3 नवंबर, 1618 - 21 फरवरी, 1707)
7. बेटा सुल्तान उम्मीद बख़्श (18 दिसंबर, 1619 - मार्च, 1622)
8. बेटा सुरैय्या बानो बेग़म (10 जून, 1621 - 28 अप्रैल, 1628)
9. बेटी
10 . बेटा सुल्तान मुराद बख़्श (8 सितंबर, 1624 - 14 दिसंबर, 1661)
11 . बेटा सुल्तान लुफ़्ताल्ला (4 नवंबर, 1626 - 14 मई, 1628)
12 . बेटा सुल्तान दौलत अफ़ज़ा (9 मई, 1628 - ?)
13 . बेटी हुस्नारा बेग़म (23 अप्रैल, 1630 - ?)
14 . बेटी गौहर आरा बेग़म (17 जून, 1631 - 1706)
2. बेटी जहाँनारा बेग़म (2 अप्रैल1614 - 16 सितंबर 1681)
3. बेटा दारा शिकोह (30 मार्च, 1615 - 8 सितंबर 1659)
4. बेटा मोहम्मद सुल्तान शाह शुजा बहादुर (3 जुलाई1616 - 1660)
5. बेटी रोशनआरा बेग़म (3 सितंबर 1617 - 1671)
6. बेटा औरंगज़ेब (3 नवंबर, 1618 - 21 फरवरी, 1707)
7. बेटा सुल्तान उम्मीद बख़्श (18 दिसंबर, 1619 - मार्च, 1622)
8. बेटा सुरैय्या बानो बेग़म (10 जून, 1621 - 28 अप्रैल, 1628)
9. बेटी
10 . बेटा सुल्तान मुराद बख़्श (8 सितंबर, 1624 - 14 दिसंबर, 1661)
11 . बेटा सुल्तान लुफ़्ताल्ला (4 नवंबर, 1626 - 14 मई, 1628)
12 . बेटा सुल्तान दौलत अफ़ज़ा (9 मई, 1628 - ?)
13 . बेटी हुस्नारा बेग़म (23 अप्रैल, 1630 - ?)
14 . बेटी गौहर आरा बेग़म (17 जून, 1631 - 1706)
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