श्लेष अलंकार :- यदि किसी कविता में कोई ऐसा शब्द हो जो केवल एक बार प्रयोग किया जाए परन्तु उसके अर्थ अलग अलग सन्दर्भ अलग अलग निकलते हों तो इसे श्लेष अलंकार कहते है. आप में से जो कोई व्यक्ति 8 कक्षा तक पढ़ा है उसे इस श्लेष अलंकार के बारे में पता होगा, इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित है
इस दोहे में सुबरन शब्द केवल एक बार आया है लेकिन कवि, व्यभिचारी और चोर तीनो के सन्दर्भ में इसका अलग अलग अर्थ है. कवि के सन्दर्भ में सुनदर शब्द, व्यभिचारी के संदर्भ में सुन्दर स्त्री और चोर के संदर्भ में स्वर्ण. अर्थात दोहे केवल एक बार प्रयोग होने के बाद भी सुबरनके तीन अलग अलग अर्थ है
2. रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥
इस दोहे में पानी शब्द केवल एक बार आया है लेकिन मोती, मानुष और चून इन तीनो के सन्दर्भ में इसका अलग अलग अर्थ है. मोती के सन्दर्भ में आभा, मानुष (मनुष्य ) के संदर्भ में विनम्रता और चून के संदर्भ में जल. अर्थात दोहे केवल एक बार प्रयोग होने के बाद भी पानी के तीन अलग अलग अर्थ है
इसी श्लेष अलंकार का प्रयोग महाकवि तुलसीदास जी ने अपनी इस चौपाई में किया है जिसको लेकर कुछ अज्ञानी लोग विवाद कर रहे हैं. यह विवाद श्रीराम चरित मानस के सुंदर काण्ड में एक चौपाई को लेकर है, जिसमे समुद्र अपनी जान बचाने के लिए श्रीराम के सामने तर्क देता है और माफ़ी मांगता है
यह चौपाई है :
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी ॥
यहाँ पर ताड़ना शब्द केवल एक बार आया है लेकिन यहां श्लेष अलंकार का प्रयोग कर ढोल, गवाँर, सूद्र, पसु और नारी के लिए अलग अलग अर्थ है
1. "ढोल" के संदर्भ में ताड़ना का अर्थ है कि ढोल को बजाने से पहले उसकी रस्सियों को कसना
2. "गंवार" के संदर्भ में ताड़ना का अर्थ है कि अशिक्षित व्यक्ति के मानशिक स्तर समझकर उसके अनुरूप व्यवहार करना
3. "शूद्र" के संदर्भ में ताड़ना का अर्थ है कि श्रम कार्य करने वाले की क्षमता को समझना और उसके अनुसार उससे काम लेना
4. "पशु" के संदर्भ में ताड़ना का अर्थ है कि पशु को देखकर उसकी जरूरतों को समझना क्योंकि क्योंकि वह बोल नहीं सकता
5. "स्त्री" के संदर्भ में ताड़ना का अर्थ है कि उसकी भावनाओं और आवश्यकताओं को समझना और उनको पूरा करना
अब जो लोग ताड़ना का अर्थ सभी के लिए पीटना लगा रहे है उनसे पूंछना चाहता है कि- क्या आप श्रीराम चरित मानस को पढ़ने के बाद ढोल गवाँर सूद्र पसु और नारी को पीटना शुरू कर देते हैं ? या फिर अगर आप ग्रामीण, शूद्र वर्ण अथवा स्त्री है तो क्या लोग तुम्हे हर समय पीटते ही रहते हैं ?
जिन लोगों ने श्रीराम चरित मानस का अपमान किया है उनके लिए तो हमारी नजर में ताड़ना का अर्थ वही सही है जो ये लोग खुद बता रहे हैं. और एक बात तुम्हे लगता है कि रामचरितमानस और मनुस्मृति तुम्हें शुद्र मानते हैं. तो जरा यह भी बता दो कि संविधान तुम्हें क्या मानता है ?
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