मुसलमान अक्सर कहते हैं कि - उनके यहाँ कोई भेदभाव नहीं है जबकि वास्तविकता यह है कि इनके यहाँ इतने अधिक प्रकार के वर्गीकरण है और उनमे इतना भेदभाव है कि एक दूसरे से जातीय दंगा और जातीय नरसंहार तक कर देते हैं.
भारत में भी आपने कई बार शिया और सुन्नी के बीच दंगा होने की खबर कई बार सुनी होगी. इसके अलाबा ईराक और अफगानिस्तान में सुन्नियों के द्वारा लाखों शियाओं की हत्या की गई थी यह भी आपने टीवी और समाचार पत्रों में देखा ही होगा.
शिया और सुन्नी का भेद तो मात्र कुछ मान्यताओं को लेकर ही है लेकिन आर्थिक, सामाजिक और पेशे के आधार पर भी बहुत भेदभाव है. सामजिक प्रतिष्ठा के आधार पर मुसलमानो का अशराफ, अजलाफ और अरज़ाल में वर्गीकरण होता है.
अशराफ या शोरफा :- अशराफ का अर्थ होता है शरीफ या उच्च, इस शब्द का बहुवचन 'शोरफा' भी होता है. इसमें बाहर से भारत में आए हुए अरबी, ईरानी, तुर्की, सैयद, शेख, मुगल, मिर्जा, पठान आदि जातियां आती है, जो भारत में शासक भी रहीं हैं.
जिल्फ या अजलाफ :- जिलफ का अर्थ होता है -असभ्य. और जिल्फ का बहुवचन "अजलाफ" है. जिसमें अधिकतर शिल्पकार जातियां आती हैं. जैसे - दर्जी, धोबी, धुनिया, गद्दी, सब्जिफरोस ,बढई, लुहार, हज़्ज़ाम, जुलाहा, कबाड़िया, कुम्हार, मिरासी, आदि
रजील या अरज़ाल :- रजील का अर्थ होता है - नीच और इसका बहुवचन है अरज़ाल. इसमें तथाकथित छोटा काम करने वाली जातियां आती है. इसमें हलालखोर, भंगी, हसनती, लाल बेगी, मेहतर, नट, गधेरी आदि जैसी जातियां आती है.
अशराफ में वो लोग आते हैं जो अपने आपको अरब, ईरान, तुर्की, आदि बाहरी देशों से आया असली मुस्लमान मानते है. जिल्फ और रजील में भारतीय मूल की जातिया है जो हिन्दू से कन्वर्ट हुए हैं. इन दोनों को संयुक्त रूप से पश्मांदा भी कहा जाता है
भारत में जो मुस्लिम रहते हैं उनमे से लगभग 15 प्रतिशत "अशराफ" जो खुद को बाहर से आया हुआ असली मुस्लमान मानते है और लगभग 85% पसमांदा (अज़लाफ़ + रजील ) है जो भारतीय मूल के है लेकिन धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बने थे
मुसलमनो में केवल यही दो प्रकार ( शिया सुन्नी और अशराफ पश्मांदा) के वर्गीकरण नहीं है. इनके बीच फिरकों के आधार पर, मान्यताओं (बरेलबी / देवबंदी), आदि के आधार पर, और भी कई प्रकार के वर्गीकरण हैं, जिसके कारण भी काफी भेदभाव है.
इसलिए यह कहना कि जातीय भेदभाव केवल हिन्दुओं में ही होता है सरसार झूठ है. भारत में बाहर से आये हुए "अशराफ" मुसलमनो के वंशज आज भी अपने आपको भारतीय मूल के पसमांदा (अज़लाफ़ + रजील ) मुसलमानो से श्रेष्ठ मानते हैं
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