Saturday, 4 June 2022

जिहाल ए मिश्कीन, मुकुन ब-रंजिश, बहाल ए हिजरा, बेचारा दिल है

 जिहाल ए मिश्कीन, मुकुन ब-रंजिश, बहाल ए हिजरा, बेचारा दिल है

सुनाई देती है जिसकी धड़कन , तुम्हारा दिल या हमारा दिल है : गुलामी


गुलामी फिल्म का यह गीत बहुत ज्यादा हिट हुआ था. इस गीत की पहली लाईन का सही उच्चारण बहुत ही कम लोग बोल पाते हैं, अर्थ समझना तो खैर बहुत ही मुश्किल है. मुझे लगा कि -इस पर पोस्ट लखी जाए.
यह गीत मूल रूप से अरबी / फारसी भाषा में अमीर खुसरो द्वारा लिखा गया है. लेकिन फिल्म में जो इसका भारतीयकृत हिन्दी रूप है वो गुलजार साहब ने लिखा है जिसको मिथुन चक्रवर्ती / अनीताराज / हुमाखान पर फिल्माया गया है.
इस गीत के बोल और भावार्थ तथा मूल गीत (अमीर खुसरो) भी प्रस्तुत है :-
जिहाल ए मिश्कीन, मुकुन ब-रंजिश, बहाल ए हिजरा, बेचारा दिल है
zihaal-e-miskeen mukon ba-ranjish, bahaal-e-hijra bechara dil hai
zihaal = notice
miskeen = poor
mukon = do not
ba-ranjish = with ill will, with enimity
bahaal = fresh, recent
hijra = separation
Thus the meaning is: Notice the poor (heart), and do not look at it (heart)
with enimity. It (heart) is fresh with the wounds of separation.
अर्थात -
ये गरीब (मजबूर) दिल, जुदाई के गमो से अभी तक ताजा है,
इसकी बेचारगी को बिना रंजिश के देखो.
******************************
अमीर खुसरो का मूल गीत
******************************
ज़ेहाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल
दुराये नैना बनाये बतियाँ
कि ताब-ए-हिज्राँ न दारम ऐ जाँ
न लेहु काहे लगाये छतियाँ
चूँ शम्म-ए-सोज़ाँ, चूँ ज़र्रा हैराँ
हमेशा गिरियाँ, ब-इश्क़ आँ माह
न नींद नैना, न अंग चैना
न आप ही आवें, न भेजें पतियाँ
यकायक अज़ दिल ब-सद फ़रेबम
बवुर्द-ए-चशमश क़रार-ओ-तस्कीं
किसे पड़ी है जो जा सुनाये
प्यारे पी को हमारी बतियाँ
शबान-ए-हिज्राँ दराज़ चू ज़ुल्फ़
वरोज़-ए-वसलश चूँ उम्र कोताह
सखी पिया को जो मैं न देखूँ
तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ

No comments:

Post a Comment