Sunday, 8 May 2022

मुस्लिम्स और सेकुलर्स द्वारा ताजमहल, क़ुतुब मीनार, लालकिला, आदि को तोड़ने की बात करना

एक बार एक राजा के पास दो महिलायें झगडती हुई आईं. वे दोनों महिलायें एक बच्चे को लेकर आईं थी और दोनों ही अपने आपको उस बच्चे की असली माँ बता रहीं थी. तब राजा ने कहा तुम लोग झगड़ा मत करो, मैं इस बच्चे को तलबार से काटकर दो टुकड़े कर देता हूँ. तुम दोनों एक एक टुकड़े को अपने साथ ले जाना.

इस बात को सुनकर एक महिला ने कहा महाराज अमर रहे, आपने बहुत अच्छा न्याय किया है. लेकिन दूसरी महिला बोली - नहीं महाराज ऐसा मत कीजिए. मैं झूठ बोल रही थी, यह मेरा बच्चा नहीं है, इस बच्चे को इस महिला को दे दीजिये. बच्चे पर झूठा दावा करने के अपराध की आप मुझे जो चाहे सजा दे दीजिये, मुझे मंजूर है.
तब राजा ने कहा. जो महिला बच्चे से दावा वापस ले रही है यह बच्चा उसको दे दो और दुसरी महिला को कारागार में डाल दो. जो महिला बच्चे की माँ नहीं थी उसको बच्चे की ह्त्या की बात से कोई तकलीफ नहीं हुई जबकि जो महिला बच्चे की असली माँ थी, उसे बच्चे को दूसरे को सौंपना मंजूर हो गया लेकिन बच्चे की ह्त्या नहीं.
कुछ यही हाल भारत में इस्लामी आक्रमणकारियों द्वारा कर्थित तौर से बनाई गई इमारतों का है. ध्रुब स्तम्भ (क़ुतुब मीनार), आग्रेश्वर नागनाथेश्वर मंदिर ( ताजमहल), लाल कोट (लाल किला), अढाई दिन का झोपड़ा, आदि सबकुछ भारतीय राजाओं द्वारा बनबाई गई इमारते हैं, जिनको आक्रमणकारी लुटेरों ने अपना नाम दे दिया है.

आज भी जब भारतीय लोग उन इमारतों को उनकी वास्तविक पहेचान दिलाने की बात करते हैं तो मुस्लिम्स और सेकुलर्स कभी भी इन इमारतों की वैज्ञानिक तरीके से पूरात्विक जांच की बात नहीं करते हैं बल्कि इनको बम से तोड़कर नष्ट कर देने की बात करते हैं. यह ठीक बैसा ही है जैसे कहानी में झूठी महिला करना चाहती थी.
इन इमारतों को लेकर ओवेसी, नशीरूद्दीन शाह, आजम, पूनावाला, आदि से लेकर किसी फेसबुकिया मुस्लिम का भी बयान देख लो, आजतक किसी ने यह नहीं बोला है कि इन इमारतों की वैज्ञानिक जांच हो या इनके तहखाने खुल्बाकर उनमे रखे सामान की जांच की जाए. ये लोग केवल यही बोलते हैं कि इन इमारतों को तोड़ दो या बम से उड़ा दो.
इन लोगों के बयान से ही साफ़ पता चलता है कि - विदेशी आक्रमणकारियों के वंशजों को सच का खुद पता है. यह केवल इतना चाहते हैं कि या तो इनकी जो झूठी कहानिया चली आ रही हैं वही चलती रहें और अगर झूठ को छुपा पाना अब संभव नहीं हो पा रहा है तो इनको नष्ट कर दिया जाए. इसी अब ये लोग इनको तोड़ने की बात करते है.
जब इस्लामी हमलावरों ने भारत पर हमला किया और इमारतों मंदिरों का विध्वंस किया तब भारतीय लोगो ने बच्चे की वास्तविक माँ की तरह यह सोंच लिया कि - भले ही इनको इन विनाशकों / विध्वंशकों द्वारा बनबाया हुआ ही क्यों न घोषित कर दिया जाए लेकिन इनको टूटने से बचा लिया जाए. अब तो बस कहानी वाले राजा की तरह न्याय करना है.
बैसे भी सबको पता है जो लोग इन भव्य इमारतों को बनाने का दावा करते आये हैं वो अपने मूल देशों में तो रहने लायक घर भी नहीं बना पाए थे.

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