अभी कुछ लोग जैसे रामपाल, आशाराम, गुरमीत राम रहीम, राम ब्रक्ष यादव , आदि जैसों के नाम ही सामने आये हैं. ऐसे न जाने कितने डेरे और दरगाहें हैं जहाँ अनेकों गैरकानूनी काम होते हैं. जिन का मामला खुला है उनको देखकर शायद भोली भाली जनता को अक्ल आये और वो डेरों और दरगाहों द्वारा छले जाने से बच जाए.
यह डेरे वाले बहुत चालाक होते हैं और थोक वोट दिलाने का लालच देकर नेताओं को अपने पीछे लगाए रखते हैं. अगर केवल "डेरा सच्चा सौदा" की बात करें तो यह मौका देखकर समय समय कभी कांग्रेस, कभी भाजपा, कभी अकाली और कभी इनलो का समर्थन करता रहा है और लाभ उठाता रहा है.
जिस मामले में सेकुलर बाबा "गुरमीत राम रहीम" को सजा हुई है यह मामला बहुत पुराना है. जिन लड़कियों के साथ 2001 में डेरे में बलात्कार हुआ था उनकी स्थानीय पुलिस ने शिकायत तक दर्ज नहीं की थी, शिकायत की बात खुद पुलिस द्वारा डेरे तक पहुंचा दी गई थी और डेरे वालों ने पीड़िताओं को धमकाया था.
उस समय हरियाणा में "ओम प्रकाश चौटाला" की सरकार थी. लेकिन उन बहादुर लड़कियों ने हार नहीं मानी और केंद्र सरकार के पास गुमनाम चिट्ठी भेजकर डेरे की पोल खोली. उस समय केंद्र में अटल बिहारी बाजपेई की सरकार थी. 13 मई 2002 को यह चिट्ठी प्रधान मंत्री कार्यालय को मिली थी.
अटल सरकार ने इस चिट्ठी को संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई. इसी बीच 10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रहे रणजीत सिंह की हत्या हो गई. इन लड़कियों ने रणजीत सिंह की बहन की तरफ से भी प्रधान मंत्री को चिट्ठी लिखबाई.
तब केंद्र की अटल सरकार ने पूरे मामले की सत्यता जांचने का जिम्मा 24 सितंबर 2002 को सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने बहुत तेजी से जांच शुरू की और ऐसा लगने लगा कि - डेरे का खेल अब एक दो साल से ज्यादा नहीं चल पाएगा. लेकिन इसी बीच 2004 में केंद्र और हरियाणा दोनों जगह कांग्रेस सरकार आ गई.
इसी बीच हरियाणा में भी सत्ता परिवर्तन हो गया. अब डेरे पर सीबीआई का शिकंजा कसना शुरू हो गया. इस केस में सीबीआई ने जितना काम पहले 12 साल में किया था उससे ज्यादा पिछले 3 साल में किया. सीबीआई की मेहनत का नतीजा है कि - आज बलात्कारी बाबा जेल पहुंचा और उन पीडिताओ को न्याय मिल सका. —
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