Saturday, 12 February 2022

डेरा सच्चा सौदा : धार्मिक स्थल नहीं बल्कि सेकुलरों और नाश्तिकों का डेरा है

 जब से "डेरा सच्चा सौदा" का प्रमुख "गुरमीत राम रहीम" जब बलात्कार, हिंसा और बेनामी सम्पत्ति, आदि के मामलों में फंसा है तब से सेकुलर लोग उसको हिन्दू साबित करने पर तुले हैं, जिससे उसके नाम पर हिन्दुओं को बदनाम किया जा सके. जबकि हकीकत यह है कि- डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी अपने आपको हिन्दू नहीं बल्कि इन्सां कहा करते हैं.

यह डेरा किसी हिन्दू ने नहीं बल्कि एक मुसलमान ने ही शुरू किया था. इसके प्रमुख ने अपना नाम भी "गुरमीत राम रहीम" रखा हुआ था. इसके भक्त अपने घर में सनातन देवी देवताओं की पूजा नहीं करते हैं. इस डेरे की स्थापना भी किसी हिन्दू या सिक्ख ने नहीं बल्कि एक मुसलमान ने की थी, जिसका उद्देश गरीब हिन्दुओ को धर्म से भटकाना था.

एक बलूची मुसलमान "अमकुरेजुद्दीन खान" उर्फ़ "शाह मस्ताना" ने सन 1948 में "डेरा सच्चा सौदा" की स्थापना की थी. इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य पंजाब के दलितों और गरीबो को अपने मूल धर्म (हिन्दू / सिक्ख ) से भटकाना था. इसके लोगो में "हिन्दू, मुस्लिम और सिख" तीनो धर्म के प्रतीक दिखाए गए है, ये अपने आपको "इन्सां" कहते हैं.
यह संभवता आज तक का सबसे सेकुलर डेरा है. लेकिन रेप केस मे फँसने और कई अन्य नए मामले सामने आ जाने के बाद, सेकुलर लोग इन लोगों को हिन्दू साबित करने पर तुले हैं जिससे कि- इसके नाम के सहारे हिन्दुओं को बदनाम किया जा सके. यह डेरा अपने स्थापना काल से लेकर आजतक कांग्रेस का समर्थक रहा है.
कांग्रेस हमेशा अपने आपको सेकुलर कहती आई है और कोई भी अपने आपको सेकुलर कहता है वह उसको बहुत प्रिय होता है. अपने आपको सेकुलर साबित करके ही इस डेरे ने, धर्म बिरोधी सेकुलरों को अपना अनुयाई बनाया. 2017 में पंजाब के विधानसभा चुनाव में भी डेरे ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था.
डेरा सच्चा सौदा के भक्त सनातन देवी देवताओं को बुरा भला बोलते थे और "गुरमीत राम रहीम" को पिताजी बोलते थे. वे लोग अपने घर में देवी देवताओं के चित्र और मूर्ति भी नहीं रखते थे. लेकिन मीडिया का दोगलापन देखिये कि- जब कहीं कोई ढोंगी बाबा किसी गलत काम में पकड़ा जाता है तो मीडिया वाले उसको लेकर हिन्दू धर्म पर प्रहार करने लगते हैं.
जबकि इसके उलट जब कोई आतंकी जो खुद अपने आपको सच्चा मुसलमान बताते हुए, निर्दोष लोगों की ह्त्या करता है, तो यही मीडिया उसको मुसलमान कहने से डरती है और उसके मुसलमान न कहकर भटका हुआ इंसान बताता है. तब अपनी बात को और बजनदार बनाने के लिए साथ में यह भी जोड़ देते हैं कि- आतंकी का कोई धर्म नहीं होता.

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