1971 में हुए भारत पापिस्तान युद्ध की बर्षगांठ की स्वर्ण जयंती पर, मोदी सरकार ने एक भव्य युद्ध स्मारक राष्ट्र को समर्पित किया है. 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन किया था, तब यह निर्णय लिया गया था कि- भारत के देशभक्त और वीर सैनिको के सम्मान में "अमर जवान ज्योति" अब यहीं जलाई जायेगी.
नया राष्ट्रीय समर स्मारक उन सैनिकों और गुमनाम नायकों की याद में बनाया गया था जिन्होंने आजादी के बाद से देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी है. नया स्मारक कहीं दूसरे शहर में नहीं बनाया गया है बल्कि इंडिया गेट परिसर में ही 40 एकड़ में फैला हुआ है. इसकी दीवारों पर भारत के लिए लड़ते हुए वीरगति पाने हुए सैनिकों के नाम लिखे हैं.
जबकि इण्डिया गेट अंग्रेजों के द्वारा बनबाया हुआ स्मारक है, इसको अंग्रेजों ने प्रथम विश्वयुद्ध के बाद "इंग्लैण्ड" के लिए लड़ने वाले 80,000 सैनिको की याद में बनबाया था. यह स्मारक 1931 में बनकर तैयार हुआ था. वहां अंग्रेजों के 13,300 सैनिको के नाम लिखे हैं जिनमे लगभग 4,300 अंग्रेज अफसरों और सैनिको के नाम हैं.
इनमें से जो सैनिक भारतीय मूल के भी हैं, वो भी कोई भारत की स्वाधीनता की लड़ाई नहीं लड़ रहे थे, बल्कि वो तो अपने मालिको के लिए, अपने मालिकों के दुश्मनों से लड़ रहे थे. ये वो भारतीय मूल के अंग्रेज सैनिक थे, जिन्हें अपने अंग्रेज मालिको के इशारे पर, अपने भारतीय भाइयों पर भी गोली चलाने में हिचक नहीं होती थी.
इसके सामने जो छतरी लगी है उसमें तत्कालीन अंग्रेज राजा जार्ज पंचम की मूर्ति लगी हुई थी. इसके सामने का रास्ता "किंग्स वे - अर्थात राजा का पथ" कहलाता था. जिनका नाम बाद में बदलकर "राजपथ" कर दिया गया. आजादी के दिल्ली की जनता ने मांग की कि - वहां से जार्ज पंचम की मूर्ति को हटाया जाए, मगर नेहरु इसके लिए तैयार नहीं थे.
नेहरु का मानना था कि ऐसा करने से अंग्रेज नाराज हो सकते हैं, क्योंकि 15 अगस्त 1947 में आजादी मिलने के बाबजूद, 15 जनवरी 1949 तक, सेना का नियंत्रण अंग्रेजों के पास ही था. तब दिल्ली के राष्ट्रवादी लोगों ने इसको हटाने के लिए जबरदस्त अभियान चलाया, फिर जाकर नेहरु को मजबूर होकर मूर्ति को "कोरोनेशन पार्क" में स्थानांतरित करना पड़ा.
1972 में इण्डिया गेट पर अमर जवान ज्योति की स्थापना की गई थी. यह ज्योति 1971 का युद्ध लड़ने वाले सैनिको को समर्पित थी. अब नया युद्ध स्मारक बन गया है जो भारत के लिए युद्ध लड़ने वाले सैनिको के लिए समर्पित है. इसलिय अमरजवान ज्योति को भी अंग्रेज सैनिको के स्मारक से हटाकर भारतीय सैनिको के स्मारक में स्थानांतरित कर दिया गया है.
नए राष्ट्रीय युद्ध स्मारकमें जो अमरजवान ज्योति लगाईं गई है, उसको जलाने के लिये भी अग्नि , पुरानी वाली अमरजवान ज्योति से ही ले जाई गई है. मेरे इस लेख के साथ डाले गए फोटो में भी यह स्पष्ट दिख रहा है कि अमर जवान ज्याति भी बनाई गई है और दुसरे फोटो में यह भी स्त्पष्ट दिखाई दे रहा है कि - यह इण्डिया गेट के पास ही में है
नए राष्ट्रीय युद्ध स्मारकमें जो अमरजवान ज्योति लगाईं गई है, उसको जलाने के लिये भी अग्नि , पुरानी वाली अमरजवान ज्योति से ही ले जाई गई है. मेरे इस लेख के साथ डाले गए फोटो में भी यह स्पष्ट दिख रहा है कि अमर जवान ज्याति भी बनाई गई है और दुसरे फोटो में यह भी स्त्पष्ट दिखाई दे रहा है कि - यह इण्डिया गेट के पास ही में है
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