Friday, 14 June 2019

पतंजली के "दिव्यजल" को लेकर MNC का प्रोपोगंडा

बोतल बंद पानी बेचने वाली, इटेलियन मूल की कम्पनी "बिसलरी (इंडिया) लिमिटेड" भारत में 1965 से बोतलबंद पीने का पानी बेच रही है. तब इसके दो ब्रांड होते थे- "बब्ली" और "स्टिल". 1969 में इसे "पार्ले प्रोडक्ट्स" ने खरीद लिया और ब्रांड निकाला "बिसलेरी".
तब बोतल बंद पानी केवल महानगरों में अमीर लोग ही खरीदते थे. बाक़ी आम आदमी तो सरकारी टोंटियों और हैण्ड पम्प से ही पानी पीते थे. इसके अलाबा जगह जगह लोग प्याऊ लगते थे जहाँ लोगों को निशुल्क साफ़ और शीतल जल मिल जाता था.
90 के दशक में पार्ले ने PET बोतल में पानी भरना शुरू किया और भारत के बड़े शहरों के साथ साथ छोटे शहरों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डो, आदि में बेचना शुरू कर दिया. इसके साथ ही अचानक, ज्ञानियों ने स्वच्छ जल का महत्त्व बताने का अभियान छेड़ दिया.
पानी को लेकर आम जनता में इतना डर फैलाया गया कि- केवल अमीर ही नहीं बल्कि साधारण लोग भी बोतल बंद पानी पीने लगे. साजिश के तहत सार्वजनिक स्थानो से टोटियां और नल हटाये जाने लगे और प्याऊ लगाने वालो को स्थान मिलना बंद हो गया.
देखते ही देखते बोतलबंद पानी का एक बहुत बड़ा व्यवसाय खड़ा हो गया, जिस पर बिसलेरी का कब्ज़ा था. 2003 में पार्ले ने इसे "वाखारिकर एंड संस" को बेच दिया. बिसलेरी कि सफलता को देखकर अन्य छोटे - बड़े लोग एवं कम्पनिया भी इस और आकर्षित हुईं.
इसमें "किनली" और "एक्वाफिना" को भी ठीक ठाक सफलता मिली. इसके अलाबा लघु एवं कुटीर उद्योग के रूप में भी जगह जगह भारतीय उद्यमी पानी का काम करने लगे. हालांकि छोटे स्तर पर काम करने वाले भारतीयों को बेचने में बहुत दिक्कत होती है.
भारत के बोतलबंद पानी के 60% कारोबार पर बिसलेरी का कब्ज़ा है और 20% पर "किनली" और "एक्वाफिना" का. शेष 20% कारोबार में देश के हजारों छोटे छोटे उद्यमियों का हिस्सा है, जिससे इन बड़ी कम्पनियों को कोई भी दिक्कत नहीं थी.
अब शुरू होती है वह समस्या जिसके कारण मैं यह पोस्ट लिखने को मजबूर हुआ हूँ. पिछले 30 साल में खूब पानी बिक रहा था लेकिन किसी को कोई तकलीफ नहीं थी , लेकिन अभी एक ऐसी कम्पनी इस क्षेत्र में आ गई है जिसके कारण सब हिल गए है,
वह कम्पनी है "बाबा रामदेव" की "पतंजली", जिसने "दिव्य जल" के नाम से बोतलबंद पानी लांच किया है, इसके मार्केट में आते ही ज्ञानी जनो ने बोतलबंद पानी के कारण होने वाले नुकशान गिनाने शुरू कर दिए हैं. जैसे कि यह नुकशान केवल इस कम्पनी में ही होंगे.
क्योंकि एक बात तो बाबा रामदेव के बारे में सभी जानते है कि - पतंजली साथ यह बड़ी कम्पनियां वह कुकृत्य नहीं कर पाएंगी जैसा वे छोटे छोटे उद्यमियों को गिराने के लिए कर लेती हैं. बाबा रामदेव वह बला है, जिसले कोलगेट और लीवर तक को टक्कर दी है.
जिस कोलगेट का पहले भारतीय टूथपेस्ट बाजार पर कब्ज़ा हुआ करता था, उस टूथपेस्ट बाजार में आज पतंजलि के "दन्तकान्ति" की 53% की हिस्सेदारी है और बाक़ी में सारी टूथपेस्ट कम्पनिया. इसलिए "दिव्यजल" के आने से से ये सब घबराय हुए हैं.

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