सूरत ( गुजरात) के एक कोचिंग सेंटर में आग लग गई जिसके कारण 18 मासूम बच्चों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा घायल हो गए. हमारे देश के लोग इस दुर्घटना से कोई सबक सीखकर कोई सार्थक उपाए सोंचने के बजाय, दूसरों पर छींटाकशी करने के प्रिय कार्य में लग गए. उनके लिए यह मात्र बिरोधी बिचारधारा वालों मजाक उड़ाने का मुद्दा है,
जबकि होना तो यह चाहिए कि - इस दुर्घटना से हुए मानवीय नुकशान को देखते हुए, उन उपायों के बारे में सोंचते, जिससे आगे कभी कहीं और ऐसी दुर्घटना न हो. लेकिन हमारे देश के तथाकथित विद्वान् लोग इस अग्निकांड को लेकर देश का माजक बना रहे है कि हमारे देश में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ती है लेकिन चार मंजिल पहुचने वाली सीढ़ी नहीं.
ऐसा बोलकर वे बुद्धिजीवी यह सोंच रहे हैं जैसे उन्होंने कोई बहुत महान काम दिया है. ऐसा बोलने वालों में केवल अनपढ़ लोग ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित लोग भी शामिल हैं जिनकी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी है समाज को राह दिखाने की. भारत में दुर्घटनाओं में जो सबसे ज्यादा मौते होती हैं उसका सबसे बड़ा कारण दुर्घटनाओं से बचने की जानकारी का अभाव है.
हमारे देश में स्कूलों के पाठ्यक्रम या किसी भी विशेष कैंप में कहीं यह सिखाया ही ही नहीं जाता है कि - दुर्घटना के समय हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. कोई भी दुर्घटना होने पर हम बस बदहवास होकर इधर-उधर भागने लगते है और ऐसा करके अपने साथ साथ अन्य लोगों के लिए भी मुशीबत पैदा कर देते हैं .
हमारे देश में भवन निर्माण के मानको का ध्यान रखने में लापरवाही बरती जाती है या दुर्धटनाओं से बचाने वाले उपकरणों का अभाव है यह एक अलग मुद्दा है और इसपर सरकार और सामाजिक संस्थाओं को ध्यान देना ही चाहिए लेकिन इससे भी ज्यादा जरुरी, इस जानकारी का प्रसार है कि दुर्घटना के समय क्या करें तथा क्या न करें.
कुछ साल पहले जे. पी. होटल वसंत विहार (नई दिल्ली) में आग लग गई, जिसमें बहुत सारे भारतीय मारे गए लेकिन सभी जापानी और अमेरिकन बच गए. जानते हैं क्यों ?
1. सभी अमेरिकन और जापानी लोगों ने घबराकर इधर भागने के बजाय अपने कमरों के दरवाज़ों के नीचे खाली जगहों में गीले तौलिये लगा दिए और खाली जगहों को सील कर दिया, जिससे धुआं उनके कमरों तक नहीं पहुंच सका या बहुत कम मात्रा में पहुंचा.
2. इन सभी विदेशी मेहमानों ने अपनी नाक पर गीले रुमाल बांध लिए, जिससे उनके फेफड़ों में धुआं प्रवेश न कर सके.
3. सभी विदेशी मेहमान अपने अपने कमरों के फर्श पर औंधे लेट गए.
(क्योंकि धुआं हमेशा ऊपर की ओर उठता है)
इस प्रकार जब तक अग्निशमन विभाग के कर्मचारी वहां पहुंचे, तब तक वे लोग अपने आपको जीवित रख पाने में सफल रहे. जबकि होटल में मौजूद ज्यादातर भारतीय मेहमानों को इन सुरक्षा उपायों के बारे में पता ही नहीं था इसलिए वे इधर से उधर भागने लगे और उनके फेफड़ों में धुआं भर गया और कुछ समय में ही उनकी मौत हो गई.
किसी भी दुर्घटना के समय सबसे ज्यादा जरुरी काम होता है राहतकर्मियों के आने तक, खुद को किसी भी तरह से जिन्दा रखना. कोई भी दुर्घटना में फंस जाने के बाद राहतकर्मियों के आने में कुछ समय तो लगना ही है इसलिए घबराकर इधर उधर भागने के बजाये केवल वह उपाए करना चाहिए जिससे अधिक से अधिक समय तक खुद को बचाये रख सकें.
24.05.2019 को सूरत के एक कोचिंग सेंटर में लगी आग में जो इतने सारे मासूम बच्चों की मौत हुई उसके पीछे भी सबसा बड़ा कारण अज्ञानता है. कोचिंग सेंटर में आग लगते ही भगदड़ मच गई और बच्चों ने आग से बचने के लिए चार मंजिला ऊंची इमारत से छलांग लगानी शुरू कर दी, वो आग से तो बच गए लेकिन गिरने से उनकी म्रत्यु हो गई
उक्त भवन के निर्माणे में नियमो में लापरवाही और भवन में सुरक्षा उपकरणों तथा अग्नि शमन उपकरणों का अभाव तो इस दुर्घटना का कारण है ही लेकिन बच्चों में जानकारी का अभाव भी इसकी कम बजह नहीं है. यदि स्कूलों में दुर्घटना से बचने की शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता तो शायद इतनी ज्यादा संख्या में बच्चों की जान नही जाती.
हमेशा यही देखा गया है कि - किसी भी अग्निकांड में जितनी भी मौते होती हैं, उनमे जलने के कारण मरने वालों की संख्या बहुत कम होती है. मृतकों में ज्यादा संख्या धुएं के कारण दम घुटने से या भगदड़ में गिरने और कुचले जाने से होती है. ऐसा केवल जानकारी के अभाव और घबराहट में इधर उधर भागने से होता है.
क्योंकि आग से घिरने की स्थिति में, हम लोग ज्यादातर धैर्य से काम नहीं लेते हैं और इधर से उधर भागने लगते हैं. भागने से हमारी सांसें तेज़ हो जाती हैं, जिसके कारण बहुत सारा धुआं हमारे फेफड़ों में प्रवेश कर जाता है और हम बेहोश होकर ज़मीन पर गिर जाते हैं तथा उसके बाद आग की लपटों से बचना लगभग असंभव हो जाता है.
इसलिए आग लगने की स्थिति में ये सुरक्षा उपाय अपनाएं:-
1. भगदड़ न मचाएं और अपने होश कायम रखें ताकि अन्य लोग आपकी मदद कर सकें.
2. अपने नाक पर गीला रुमाल या गीला मोटा कपड़ा बांधें. जिसे धुंआ नाक में न जाए.
3. यदि किसी कमरे में बंद हों तो, उसके खिड़की दरवाज़े बंद कर दें तथा उनके नीचे, ऊपर या कहीं से भी धुआं आने की संभावना हो तो उस जगह को भी गीले कपड़े से सील कर दें.
4 अपने आसपास के लोगों से भी ऐसा ही करने को कहें।
5. फर्श पर लेट जाएं और अग्निशमन की सहायता की प्रतीक्षा करें. अग्निशमन वाले प्रत्येक कमरे की जांच करते हैं और वे फंसे हुए व्यक्तियों को ढूंढ लेंगे.
6. यदि आपका मोबाइल काम कर रहा हो तो आप लगातार 100, 101 या 102 पर मदद के लिए कॉल करते रहें. उन्हें आप अपने स्थान की जानकारी भी दें.

इसके अलाबा मैं सरकार से निवेदन करना चाहूँगा कि- स्कूल / कालेज के पाठ्यक्रम में दुर्घटना ( आग, बाढ़, तूफ़ान, भूकंप, बाहन टक्कर, आदि ) से बचने के उपायों पर जानकारी दे तथा समय समय पर विशेषज्ञों की देखरेख में इसका अभ्यास (मोक ड्रिल) कराये. स्कूल में मिली यह जानकारी उनको जीवन भर काम आएगी.
इसके अलावा सुरक्षा उपकरण बनाने वाली कम्पनियों को भी चाहिए कि - वे समय समय पर शार्ट टर्म शिविर लगाएं जहाँ सुरक्षा उपकरणों का प्रदर्शन किया जाए तथा उनको चलाना सिखाया जाए. ऐसा करने से उनके उत्पाद का प्रोमोशन और उनकी बिक्री बढ़ेगी तथा जनता को भी उपयोगी जानकारी मिलेगी.