हे जन्म-भूमि, हे कर्म भूमि भारत
हे वन्दनीय भारत, अभिनन्दनीय भारत।।
जीवन सुमन चढ़ाकर आराधना करेंगे
तेरा जन्म-जन्म भर हम वन्दना करेंगे।
हम अर्चना करेंगे, हे जन्म-भूमि भारत
हे जन्म-भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारत।।
महिमा महान् तू है, गौरव निधान तू है
तू प्राण है हमारी, जननी समान तू है
तेरे लिये जियेंगे, तेरे लिये मरेंगे
तेरे लिये जन्म भर, हम साधना करेंगे
हम अर्चना करेंगे, हे जन्म-भूमि भारत
हे जन्म-भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारत।।
जिनका मुकुट हिमालय, जग जगमगा रहा है
सागर जिसे रतन की, अंजुलि चढ़ा रहा है
वह देश है हमारा, ललकार कर कहेंगे
उस देश के बिना हम, जीवित नहीं रहेंगे
हम अर्चना करेंगे, हे जन्म-भूमि भारत
हे जन्म-भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारत।।
जो संस्कृति अभी तक दुर्जय सी बनी है
जिसका विशाल मन्दिर, आदर्श का धनी है
उसकी विजय-ध्वजा ले, हम विश्व में चलेंगे
संस्कृति सुरभि पवन, बन हर कुञ्ज में बहेंगे
हम अर्चना करेंगे, हे जन्म-भूमि भारत
हे जन्म-भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारत।।
शाश्वत स्वतन्त्रता का,जो दीप जल रहा है
आलोक का पथिक जो, अविराम चल रहा है
विश्वास है कि पल भर, रुकने उसे न देंगे
उस दीप की शिखा को, ज्योतित सदा रखेंगे
हम अर्चना करेंगे, हे जन्म-भूमि भारत
हे जन्म-भूमि भारत, हे कर्म भूमि भारत।।
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