Thursday, 16 April 2020

युगानुकूल स्वदेशी व स्वदेशानुकूल विदेशी : चाहत देशी, मजबूरी विदेशी

Image may contain: 6 people, including Ruchi Verma, people smiling, people standing, people walking, crowd, sky and outdoorजब भी देश में स्वदेशी के प्रचार की बात कही जाती है तो, विदेशियों के दलाल भ्रम पैदा करने की कोशिश करने लगते हैं कि - बिना विदेशी सामान के तो काम ही नहीं चल सकता. इसके अलाबा ताना मारने लगते हैं कि - आप जिस मोबाइल को इस्तेमाल कर रहे हो वो विदेशी है, जिस भारतीय कम्पनी का माल ले रहे हो वो भी चायना से आउट सोर्स करती है, आप जिस फेसबुक को चला रहे हो वो भी विदेशी है, आदि आदि.
ऐसी बातों के सामने आने पर हम अक्सर निरुत्तर हो जाते है. मेरा सभी भारतीयों से कहना है कि - हमें इन सवालों से घबराना नहीं चाहिए. हमें लगातार स्वदेशी का प्रचार करते रहना है. हमारी चाहत हमेशा स्वदेशी रहनी चाहिए और जिस चीज का स्वदेशी विकल्प न हो उसमे हमें विदेशी सामान से भी कोई परहेज नहीं करना चाहिए. हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि - जिस चीज का स्वदेशी विकल्प हो, वहां स्वदेशी इस्तमाल करे.
कोई भी सामान खरीदते समय हमें अपनी प्राथमिकताएं बनानी चाहिए. सबसे पहले हमारी कोशिश होनी चाहिए कि- हम अपने आसपास के किसी छोटे निर्माता का सामान इस्तेमाल करें, उसके बाद भारतीय कम्पनी के सामान को प्राथमिकता दें. उसके बाद ऐसी विदेशी कम्पनी का सामान ले जो उसे भारत में बना रही हो. उसके बाद ऐसी भारतीय कम्पनी का उत्पाद खरीदे जो बाहर से आउटसोर्स कर रही हो.
यदि इसके बाबजूद, इनसे हमारी अगर हमारी आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पा रही है, केवल तब ही हम विदेशी माल खरीदें. विदेशी माल खरीदते समय भी हमारी सोंच होनी चाहिए कि- हम भारत के मित्र देश का सामान ले और बिलकुल मजबूरी में ही शत्रु देश की बनी चीज खरीदे. वरना तो कोशिश यही होनी चाहिए कि- हम शत्रु देश का बनाया सामान लेने के बजाय , उस सामान के बिना ही अपना काम चलाने का प्रयास करें.
Image may contain: 10 people, people smiling, people standing and outdoorमैं कभी नहीं कहता कि - विदेशी सामान का बहिष्कार करें. मैं केवल इतना कहता हूँ कि - हम केवल अपनी ऐसी सोंच बनाए कि - हमें स्वदेशी सामान को बढ़ावा देना है. अगर हम अपनी सोच ऐसी बना लेंगे तो हम खुद महेसूस करेंगे धीरे धीरे हम विदेशी सामान का उपयोग खुद ही कम करने लग जायेंगे. हमें भारत को बचाना है तो भारत के धन को विदेश में जाने से रोकना ही होगा, इसके लिए देशी उद्योगों को बचाना ही होगा.
हम यह कहकर पल्ला नहीं झाड सकते कि - सरकार विदेशी सामान के भारत में आने पर रोक क्यों नहीं लगाती ? अन्तराष्ट्रीय कानूनों के प्रावधानों के तहत सरकार ऐसा नहीं कर सकती. लेकिन कोई भी प्रावधान किसी नागरिक को जबरन सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है. इसका उदाहरण जापान और जर्मनी के रूप में हमारे सामने है. विश्वयुद्ध के बाद से कोई जापानी अमेरिकी सामान तथा कोई जर्मन ब्रिटिश सामान कभी नहीं लेता है.
हमें भी अपनी ऐसी सोंच बनानी होगी. भारत माता की जय

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