स्वतंत्रता सेनानी "चन्द्र शेखर आजाद" के शहीदी दिवस (27-फरबरी) पर कोटि कोटि नमन
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"चन्द्र शेखर आजाद", "भगत सिंह" को आजाद कराना चाहते थे. गणेश शकर विद्ध्यार्थी ने उनको सलाह दी कि - वो जवाहर लाल नेहरू से मिलें, क्योंकि जवाहर लाल नेहरु और गांधी जी के अंग्रेजों के साथ बहुत अच्छे सम्बन्ध हैं. अगर ये लोग चाहें तो भगत सिंह की सजा माफ़ करवा सकते हैं, माफ़ नहीं तो कम से कम फिलहाल उम्र कैद में बदलवा ही सकते हैं.

नेहरु से निराश होने के बाद आजाद जी, अपने एक अन्य साथी सुखदेव के पास अल्फ्रेड पार्क में पहुंचे और आगे की रणनीति पर बिचार करने लगे. भगत सिंह को बचाने के लिए अब और क्या किया इस पर मंत्रणा करने लगे. लेकिन तभी अचानक अल्फ्रेड पार्क को पुलिस ने घेर लिया. एस०एस०पी० नॉट बाबर पुलिस दल का नेतृत्व कर रहा था.

आजाद का अंग्रेजों में इतना खौफ था कि उनके मृत शरीर के पास जाने से पहले उन्होंने आजाद जी पर एक साथ कई सारी गोलीयां दागकर पहले तसल्ली की थी. अल्फ्रेड पार्क में भारत माँ का वो शेर सो गया लेकिन जाते जाते वीरता और देशभक्ति की मिशाल कायम कर गया. उनके बलिदान दिवस पर हम उनकी देशभक्ति और वीरता को प्रणाम करते हैं.
आजाद जी की पुलिस से मुठभेड़ कोई अचानक हुई घटना नहीं थी, बल्कि किसी गद्दार ने आजाद जी के अल्फ्रेड पार्क में होने की खबर पुलिस को दी थी. इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता , मगर बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि -आजादजी के अल्फ्रेड पार्क में होने की खबर नेहरु ने पुलिस को दी थी.
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