Wednesday, 1 January 2025

बीबी अनूप कौर का बलिदान


बीबी अनूप कर बहुत ही सुन्दर एवं बहादुर युवती थी. उन्होंने स्वेच्छा से माता गुजरी और छोटे साहबजादों की सुरक्षा की सेवा ली थी. 21 दिसम्बर 1705 की बरसाती रात को जब गुरु गोविन्द जी ने आनंदपुर साहब को छोड़ा तो माता गुजरी और छोटे साहबजादों की सुरक्षा का दायित्व बीबी अनूप कौर जी ने लिया था.

परन्तु सरसा नदी पार करते करते वे सब आपस में बिछड़ गए. माता गुजरी छोटे साहबजादों के साथ मोरिंडा की तरफ चली गईं. जब बीबी अनुप कौर कौर को वे नहीं मिलीं तो वे उनको ढूंढने लगी. गुरु जी की सेना के तीन सिक्ख उनको मिले, उन्हें पता चला कि गुरु गोविन्द सिंह और बड़े साहबजादे चमकौर साहब में हैं

उन्हें यह भी पता चला कि - वहां पर लड़ाई चल रही है. तब वे चारों भी चमकौर साहब की तरफ चल पड़े. लेकिन रास्ते में उनका सामना मलेरकोटला के नबाब शेर मोहम्मद खान की फ़ौज से हो गया. इन चारों ने बड़ी बहादुरी से मुगल सैनिको का मुकाबला किया और अनेकों मुग़ल सैनको को मार गिराया.
लेकिन सैकड़ों सैनिको का मुकाबला भला वे चार वीर कब तक करते. लड़ते लड़ते बीबी अनूप कौर घायल हो गई और उनके तीनो साथी भी वीरगति को प्राप्त हो गए. मुग़ल सैनिको ने बीबी अनूप कौर को बंदी बना लिया और उन्हें मलेरकोटला के नबाब शेर मोहम्मद खान के सामने प्रस्तुत कर दिया.
बीबी अनूप कौर की सुंदरता को देखकर शेर मोहम्मद खान ने मोहित हो गया. जिस तरह सीता माता को देखकर रावण रावण सबकुछ भूलकर उनसे विवाह की याचना करने लगा था बैसे ही शेर मोहम्मद खान भी बीबी अनूप कौर से कहने लगा कि - धर्म परिवर्तन कर लें और उससे निकाह कर लें.
उसने उनको तरह तरह के लालच दिए और धमकाया लेकिन बीबी अनूप कौर ने उसकी बात मानने से इंकार कर दिया. तब नबाब ने उन्हें अपने हरम के एक कमरे में कैद कर दिया. लेकिन एक दिन मौका पाकर बीबी अनूप कौर ने अपने सीने में खंजर मारकर आत्महत्या कर ली.
नबाब ने इसे अपनी शिकस्त मानते हुए, उनके पार्थिव शरीर को मुस्लिमों की तरह कब्रिस्तान में दफना दिया. कुछ बर्ष बाद बाबा बन्दा बहादुर ने पंजाब पर हमला किया और चप्पड़ चिड़ी की जंग में सरहन्द के नबाब बजीर खान को मार गिराया और सरहिंद पर अपना अधिकार कर लिया
उसके बाद बन्दा बहादुर ने मलेरकोटला पर हमलाकर मलेरकोटला को भी जीत लिया. लड़ाई में बन्दा बहादुर का साथ देने वाले भाई आली सिंह और भाई माली सिंह ने बन्दा बहादुर को बीबी अनूप कौर के बलिदान के बारे में बयाया, तो बन्दा बहादुर का हृदय बीबी अनूप कौर के लिए श्रद्धा से भर गया.
उन्होंने अपने साथियों से कहा कि - हम उनके लिए कुछ और तो नहीं कर सकते लेकिन बीबी अनूप कौर का पार्थिव शरीर कब्र से निकालकर उनका दाह संस्कार अवश्य करेंगे. उन्होंने कब्रिस्तान को खुदवाकर बीबी अनूप कौर के पार्थिव शरीर के अबशेषों को निकाला और उनका विधिवत अग्नि संस्कार किया.
बन्दा बहादुर के इसी कार्य को उनके आलोचक इतिहासकारों ने लिखा है कि - बन्दा बहादुर मुसलमानो की कब्रों को खोदकर मुसलमानो के शव आग में जलाकर उनकी बेअदवी करता था , जबकि वास्तविकता ये हैं कि - उन्होंने केवल बीबी अनूप कपूर की ही कब्र ही खुदबाकर उनके अबशेषों का अग्नि संस्कार किया था.
बीबी अनूप कपूर अमर रहे, बन्दा बहादुर अमर रहें,
भारत माता की जय, वन्देमातरम

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